पटना:कभी बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान की तूती बोलती थी, लेकिन आज बेटे चिराग पासवान (Chirag Paswan) के सामने 'बंगला' बचाने की चुनौती है. क्योंकि चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. फिलहाल चिराग पशोपेश में हैं. वे आगे की रणनीति का खुलासा नहीं कर पा रहे हैं.
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चक्रव्यूह में फंसे चिराग पासवान
सूबे की सियासत रामविलास पासवान का लंबे समय तक जलवा रहा है. पार्टी पर भी उनका ही एकछत्र राज था. उन्होंने वर्ष 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की थी. जिस दमदार तरीके से उन्होंने पार्टी को खड़ा किया, उनके निधन के बाद उतनी ही तेजी से पार्टी की नैया डगमगाने लगी है. उनके पुत्र चिराग पासवान कई राजनीतिक चुनौतियों से घिरे हुए हैं.
'बंगला' बचाने की बड़ी चुनौती
चाचा पशुपति पारस की बगावत के कारण आज हालात ऐसे हैं कि चिराग पासवान के लिए अब पार्टी का चुनाव चिह्न 'बंगला' बचाने तक की चुनौती खड़ी हो गई है. पारस ने 5 सांसदों के साथ अलग गुट बना लिया है. उनकी ओर से पार्टी पर भी दावे किए जा रहे हैं.
चिराग की हालत पर जेडीयू खुश
हालांकि चिराग पासवान फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं, लेकिन बंगले पर दावेदारी को लेकर पेंच फंस गया है. 'दुश्मन' के घर आग लगने से जेडीयू की बांछें खिल गई है. पूर्व विधान पार्षद रामबदन राय के मुताबिक चिराग ने विधानसभा चुनाव में एनडीए को नुकसान पहुंचाया था, आज खुद खामियाजा भुगत रहे हैं.