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Bihar Niyojit Shikshak: कौन हैं नियोजित शिक्षक? जिसपर है पक्ष और विपक्ष दोनों की नजर - नीतीश कैबिनेट बैठक

नीतीश कैबिनेट की बैठक पर आज सभी की नजरें टिकी हैं. तय समय से एक दिन पहले बुलायी गई कैबिनेट में बड़ा फैसला होने की संभावना है. इससे पहले रविवार को नीतीश अचानक लालू यादव से मिलने पहुंचे थे. सूत्रों के अनुसार 4 लाख नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मचारी का दर्जा मिल सकता है. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार इस बड़े फैसले से एक बड़े वोट बैंक को अपने पाले में करने की कोशिश में हैं.

नियोजित शिक्षकों पर नीतीश मेहरबान
नियोजित शिक्षकों पर नीतीश मेहरबान

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 25, 2023, 3:22 PM IST

Updated : Sep 25, 2023, 5:42 PM IST

पटना:नियोजित शिक्षकोंके हंगामे और विरोध प्रदर्शन के बाद आज का दिन उनके लिए खास हो सकता है. समय से पहले नीतीश कुमार ने कैबिनेट की बैठक बुलाकर सबको चौंका दिया है. कहा जा रहा है कि दशहरा से पहले मुख्यमंत्री नियोजित शिक्षकों को बड़ा गिफ्ट देने वाले हैं. ऐसे में चर्चा इस बात की भी है कि आखिर नीतीश की मेहरबानी का कारण क्या है?

पढ़ें-Bihar Teachers News: बिहार के 4 लाख नियोजित शिक्षकों को मिलेगा राज्य कर्मचारी का दर्जा?, नीतीश कैबिनेट की बैठक पर रहेंगी सबकी नजरें

नियोजित शिक्षकों पर नीतीश मेहरबान क्यों?:बिहार कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे. इस दौरान उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत सभी विभाग के मंत्री और बड़े अधिकारी इस बैठक में मौजूद रहेंगे. लंबे समय से बिहार के नियोजित शिक्षक अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरकर आंदोलन कर रहे थे. नए शिक्षक नियमावली को लेकर भी शिक्षकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा था. ऐसे में नीतीश कुमार 4 लाख नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देकर वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही इनकी नाराजगी कम करने की दिशा में ये बड़ा प्रयास साबित होगा.

4 लाख से 12 लाख को साधने की कोशिश!: बिहार में नियोजित शिक्षकों की संख्या लगभग चार लाख है. अगर औसतन पांच लोगों का एक परिवार माना जाए तो सभी नियोजित शिक्षक परिवार के लगभग 20-25 लाख लोग हैं. हर शिक्षक परिवार में अगर 3 भी वोटर हैं तो नीतीश को लगभग 10-12 लाख वोट खतरे में दिख रहा है. माना जा रहा है कि इसी वजह से राज्य सरकार ने अपने रुख में बदलाव किया है.

कौन हैं नियोजित शिक्षक?:वर्ष 2003 में सरकारी विद्यालयों में शिक्षा मित्रों को रखने का नीतीश सरकार ने बड़ा फैसला लिया था. इस फैसले से ग्रामीण स्तर पर बेरोजगार युवाओं को रोजगार का अवसर भी मिला और शिक्षकों की कमी से जूझ रहे सरकारी विद्यालयों की समस्या का हल भी हो गया. उस समय 10वीं और 12वीं में प्राप्त अंकों के आधार पर इन टीचर्स को ग्यारह महीने के कांट्रेक्ट पर रखा गया था. इन्हें महीने में 1500 रुपये का वेतन दिया जाता था. धीरे-धीरे शिक्षा मित्रों का अनुबंध और सैलरी दोनों बढ़ती रही.

नए और पुराने शिक्षकों के वेतन में अंतर:साल 2006 में इन शिक्षा मित्रों को ही नियोजित शिक्षक के तौर पर मान्यता दे दी गई. बिहार पंचायत नगर प्राथमिक शिक्षक संघ के अनुसार बिहार में वर्तमान में तीन लाख 70 हजार समायोजित शिक्षक हैं. सभी को उनके काम के अनुसार वेतन दिया जा रहा है. नियोजित शिक्षकों का कहना है कि पूर्व से नियुक्त सरकार शिक्षकों के वेतन इनके मुकाबले लगभग ढाई गुणा ज्यादा है. जबकि काम दोनों से बराबर लिया जाता है.

नियोजित शिक्षकों का वेतन कितना है?: नीतीश सरकार ने समय-समय पर नियोजित शिक्षकों के वेतन में इजाफा किया है. वर्तमान नियोजित शिक्षकों में प्राइमरी शिक्षकों को 22 से 25 हजार प्रतिमाह मिलते हैं. वहीं माध्यमिक शिक्षकों को 22 से 29 हजार रुपये वेतन मिलता है. हाई स्कूल के ऐसे शिक्षकों को 22 से 30 हजार रुपये मिलते हैं.

केंद्र सरकार का क्या कहना है?:केंद्र सरकार को नियोजित शिक्षकों का साथ नहीं पाया. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में साल 2018 में जब केस पर बहस चल रही था तो केंद्र सरकार की ओर से एटार्नी जनरल वेणु गोपाल ने तर्क दिया था कि समान वेतन देने में 1.36 लाख करोड़ का अतिरिक्त भार केंद्र सरकार को वहन करना पड़ेगा जो संभव नहीं है.

राज्य सरकार पर पड़ेगा 28 हजार करोड़ का भार:अगर नीतीश कैबिनेट में चार लाख नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाता है तो सरकार के खजाने पर इसका बोझ पड़ेगा. समान काम समान वेतन देने पर सरकार को सालाना 28 हजार करोड़ का बोझ पड़ेगा. एरियर देने के हालात में बावन हजार करोड़ का भार पड़ेगा.

Last Updated : Sep 25, 2023, 5:42 PM IST

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