रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त पर आचार्य मनोज मिश्र का बयान पटना :रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त कब है, इसको लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. रक्षाबंधन किस दिन मनेगी, इसको लेकर लोगों में उहापोह की स्थिति है. ऐसे में लोगों के असमंजस को दूर करने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने आचार्य मनोज मिश्रा से बात की. उन्होंने कहा कि लोगों में असमंजस की स्थिति निश्चित तौर पर बनी है. रक्षाबंधन 30 अगस्त को मनाया जाएगा या 31 अगस्त को, यह सभी जानना चाहते हैं.
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31 अगस्त को है शुभ मुहूर्त : आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि सभी लोगों को बताना चाहता हूं कि हर साल रक्षाबंधन सावन महीने के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. 30 अगस्त को पूर्णिमा 10:12 मिनट से शुरू होकर 31 अगस्त को 7:45 तक रहेगा. उन्होंने कहा कि 30 तारीख को जैसे ही पूर्णिमा 10:12 मिनट से शुरू होती है. उसी समय भद्रा तिथि चढ़ रही है. भद्रा तिथि को अशुभ योग माना जाता है. भद्रा यमराज का प्रतीक माना जाता है. इसलिए भद्रा तिथि में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
"31 अगस्त को सूर्योदय के साथ 7:45 तक रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त है, जो लोग शुभ मुहूर्त में रक्षाबंधन नहीं कर सकते हैं. वह दिन भर राखी का त्योहार मना सकते हैं. हिंदू धर्म में भद्रा में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है".-आचार्य मनोज मिश्रा
अशुभ माना जाता है भद्रा : आचार्य ने कहा कि रक्षा बंधन रक्षा का प्रतीक है और रक्षाबंधन माता लक्ष्मी और बलि से जुड़ी हुई कहानी है. रक्षाबंधन काफी धार्मिक त्योहार माना जाता है. 30 अगस्त को 10:12 मिनट से भद्रा तिथि शुरू होती है जो रात्रि 8:58 मिनट तक रहेगी. 30 अगस्त को पूर्णिमा पर दिन भर भद्रा का प्रकोप रहेगा. इसलिए 30 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाएगा. मनोज मिश्रा ने कहा कि ऐसे में जो लोग 30 अगस्त को राखी बांधना चाहते हैं तो भद्रा समाप्ति के बाद रात्रि 9:00 बजे से बांध सकते हैं.
रावण ने भद्रा में बांधवाई थी राखी : मनोज मिश्रा ने कहा कि अगर 31 अगस्त को जो लोग उदयातिथि में राखी बांधते हैं तो काफी अच्छा होगा. 31 अगस्त को 7:45 तक पूर्णिमा है और ऐसे में सूर्योदय के साथ दिनभर राखी बांध सकते हैं. उन्होंने कहा कि भद्रा तिथि में जो लोग रक्षाबंधन बांधते हैं तो यह अशुभ होता है. भद्रा शनि देव की बहन का नाम है. सूर्य और माता छाया की संतान है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार रावण को उनकी बहन ने भद्र काल में राखी बांधी थी, जिसका परिणाम हुआ कि रावण का अंत भगवान राम के हाथों हुआ.