पटना: राजधानी पटना में देश की आजादी के 77वीं वर्षगांठ की तैयारी जोर शोर से चल रही है. हर तरफ जश्न और आजादी का जोश दिख रहा है. पूरे शहर मे सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं. स्वतंत्रता सेनानियों ने कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद देश को आजाद करवाया था. लेकिन आजाद भारत में हर कोई आजाद है, ये कहना मुश्किल है. ईटीवी भारत की टीम ने पटना में छात्राओं से पूछा कि उनके हिसाब से आजादी क्या है? इस पर छात्राओं ने अपनी-अपनी राय दी.
'बस नाम की आजादी है'
छात्राओं का कहना है कि उन्हें आजादी तो अंग्रेजों से मिल गई है, मगर आज भी हम मानसिक गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए हैं. यह बस नाम की आजादी है. घर परिवार में आज भी बहू- बेटियों के साथ सम्मान से व्यवहार नहीं किया जाता है. सड़कों पर भी जब हम चलते हैं, तो खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं. आए दिन बलात्कार, छेड़खानी की घटनाएं आम हो गई हैं. उनका कहना है कि आजादी का सही मतलब तभी होगा जब हम सुबह को घर से निकलें और शाम को वापस सकुशल लौटे.