पटना:बिहार में कोरोना की दूसरी लहर में पिछला सारा रिकॉर्ड टूट गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले लहर में लगातार दावा करते रहे कि पूरे देश में बिहार की स्थिति बेहतर है. लेकिन दूसरे लहर में सरकार कई स्तर पर फैसले लेने में चूक गयी. पहले लहर में प्रधानमंत्री ने शुरुआती दौर में ही लॉकडाउनलगा दिया था और उसका असर भी दिखा था. लेकिन इस बार राज्य सरकारों को फैसला लेना था और नीतीश कुमार ने लॉकडाउन लगाने में काफी देरी की. फिलहाल सरकार ने 10 दिन और लॉकडाउन बढ़ा दिया है.
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लॉकडाउन का फैसला लेने में देरी
अगर समय रहते लॉकडाउन कर दिया गया होता तो बिहार के हालात इतने नहीं बिगड़ते. बिहार में लॉकडाउन को लेकर सभी विपक्षी दलों ने मांग की थी. सहयोगी बीजेपी ने भी वीकेंड लॉकडाउन लगाने का सुझाव दिया था. लेकिन नीतीश कुमार ने उस समय अनसुना कर दिया. संक्रमण दर जब बढ़ा तब जाकर लॉकडाउन का फैसला लिया गया. अब नीतीश कुमार भी कह रहे हैं कि लॉकडाउन का असर हो रहा है और संक्रमण घट रहा है यानी लॉकडाउन लगाने में चूक हुई एक तरह से मुख्यमंत्री खुद स्वीकार कर रहे हैं. बिहार में जिस समय लॉकडाउन लगा था यानी 5 मई को संक्रमण का दर 15.58% था लेकिन लॉकडाउन के 1 सप्ताह में संक्रमण घटकर 8.82% पहुंच गया है.
लॉकडाउन के बाद संक्रमण हुआ कम
तारीख | संक्रमण का दर |
5 मई | 15.58% |
6 मई | 14.40% |
7 मई | 12.57 % |
8 मई | 11.99 % |
9 मई | 10.31% |
10 मई | 10.16 % |
11 मई | 9.2 % |
12 मई | 8.82% |
लॉकडाउन के बाद सुधर रहे हालात
लॉकडाउन का असर यह भी हुआ कि 31 दिन बाद 10,000 से कम संक्रमित अब मिल रहे हैं. बिहार में 20 अप्रैल को 10,455 नए कोरोना के मामले मिले थे और उसके बाद हर दिन 10,000 से अधिक संक्रमित मिलने लगे. एक समय तो 15,000 से भी अधिक संख्या पर यह आंकड़ा पहुंच गया. लेकिन 31 दिनों बाद लॉकडाउन के कारण यह घटकर अब 9863 हो गया है. वहीं राजधानी जो कोरोना संक्रमण का हॉट स्पॉट बना हुआ था 33 दिनों बाद 1000 से कम 977 मरीज मिले हैं. राजधानी पटना में 10 अप्रैल को 1431 संक्रमित मिले थे और उसके बाद हर दिन यह संख्या बढ़ता गया. इसी तरह कोरोना संक्रमण से मौत मामले में भी इस बार रिकॉर्ड टूटा है. राजधानी पटना में ही मार्च से 11 मई तक 1000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि पिछले साल पूरे बिहार में मार्च से जुलाई तक 5 महीने में 300 से कुछ अधिक मौत हुई थी.
'आईएमए ने 20 दिन पहले ही बिहार सहित देश में लॉकडाउन लगाने की सलाह दी थी. उस समय लॉकडाउन लगा होता तो स्थिति और बेहतर होती है. लेकिन अब जब लॉकडाउन लगा है तो उसके बेहतर परिणाम आ रहे हैं.'- डॉक्टर सहजानंद सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आईएमए