पटना : जेल से रिहाई होने के बाद से बाहुबली आनंद मोहन की नजदीकियां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बढ़ी हैं. राजद सुप्रीमो लालू यादव के मिलने से मना करने के बाद कुछ ही दिनों बाद आनंद मोहन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुख्यमंत्री आवास में जाकर मुलाकात की, आधे घंटे तक दोनों के बीच बातचीत हुई है. इसी मुलाकात के बाद ही आनंद मोहन के जदयू में शामिल होने के कयास लगाये जा रहे हैं.
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जेडीयू का दामन थाम सकते हैं आनंद मोहन: वैसे तो पार्टी के नेता अभी तक अधिकृत रूप से इस मामले में कुछ भी जानकारी देने से बच रहे हैं, लेकिन सूत्रों की मानें तो अक्टूबर में ही आनंद मोहन परिवार के साथ जदयू का दामन थाम लेंगे. लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार आनंद मोहन के सहारे राजपूत वोट बैंक को साधने की कोशिश करेंगे, इसकी तैयारी है. आनंद मोहन के लिए भी यह जरूरी है कि किसी दल के साथ जुड़ें जिससे अपनी पत्नी लवली आनंद को लोकसभा चुनाव लड़ा सकें. राजनीतिक विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में आनंद मोहन और नीतीश कुमार एक दूसरे की जरूरत हैं.
इन जिलों में निर्णायक भूमिका में राजपूत: बिहार में सीतामढ़ी, शिवहर, आरा, सारण, महाराजगंज, औरंगाबाद वैशाली जैसे जिलों में राजपूत वोटरों का दबदबा रहता है. इसके अलावा 30 से 35 विधानसभा क्षेत्र में राजपूत मतदाता हार जीत तय करते हैं. आनंद मोहन 1990 के दौर में राजपूत और ब्राह्मण युवकों के हीरो हुआ करते थे, लेकिन 1994 में आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या में उम्र कैद की सजा हो गई, इसके कारण वह प्रभाव जाता रहा. अब उनकी रिहाई हो गई है, फिर से राजनीति में सक्रिय हैं. 2024 के चुनाव में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहते हैं.
आनंद जाएंगे जेडीयू के पाले में?: आनंद मोहन की रिहाई का फायदा महागठबंधन लेना चाहती थी, लेकिन पिछले दिनों जो खबर चर्चा में है कि आनंद मोहन लालू यादव से मिलने राबड़ी आवास पहुंचे थे, लेकिन लालू यादव ने मुलाकात नहीं किया. इससे कहीं ना कहीं आनंद मोहन नाराज हो गए. उसके बाद राजद सांसद मनोज झा के ठाकुर कविता वाले बयान को तूल देने लगे. लेकिन चार दिन पहले आनंद मोहन अचानक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने सीएम आवास पहुंच जाते हैं. नीतीश कुमार और आनंद मोहन के बीच आधे घंटे के करीब बातचीत होती है. 30 मिनट में ही 2024 का चक्रव्यूह भेदने पर सहमति भी बना लेते हैं.
बीजेपी प्रवक्ता संतोष पाठक मान रहे हैं कि आनंद मोहन का असर खत्म हो चुका है. ''अब आनंद मोहन का कोई असर होने वाला नहीं है. लोकसभा चुनाव में लोग नरेंद्र मोदी के चेहरे पर वोट करेंगे. आनंद मोहन पिछले 6 महीना से घूम रहे हैं, लेकिन कोई असर दिख नहीं रहा है.''