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51 साल बाद विधानसभा में अध्यक्ष के लिए होगी वोटिंग, सुमो के आरोप ने मुकाबले को बनाया रोमांचक

अगर विपक्ष ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया तो बिहार विधानसभा तीसरी बार अध्यक्ष के लिए मतदान की गवाह बनेगी. 1967 और 1969 में स्पीकर का फैसला मतदान से हुआ था. सुशील मोदी के आरोप के बाद चुनाव रोमांचक हो गया है.

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Published : Nov 25, 2020, 10:54 AM IST

पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव के नतीजों से शुरू हुआ रोमांच अभी थमा नहीं है. विधानसभा चुनाव के नतीजों के दिन भी ऐसा ही कुछ रोमांच था कि आखिर किसकी सरकार बनेगी और आज एक बार फिर विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी ऐसी ही कुछ सियासी आपाधापी मची है कि आखिर कौन विधानसभा का अध्यक्ष बनेगा.

आज सदन की कार्यवाही शुरू होने तक अगर विपक्ष ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया तो बिहार विधानसभा तीसरी बार अध्यक्ष के लिए मतदान की गवाह बनेगा. करीब 51 साल पहले ऐसा ही कुछ मौका आया था जब विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच मतदान के आधार पर स्पीकर पद पर निर्णय हुआ था. बिहार विधानसभा में 1967 और 1969 में स्पीकर का फैसला वोटिंग से हुआ था.

एआईएमआईएम ने दिया आपसी सहमति से स्पीकर चुनने का सुझाव
सत्ता पक्ष की ओर से लगातार यह कोशिश होती रही कि किसी तरह आपसी सहमति से ही अध्यक्ष का चुनाव हो, लेकिन विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं है. सिर्फ सत्तापक्ष ही नहीं, बल्कि एआईएमआईएम और बसपा ने भी सबकी सहमति से स्पीकर चुनने का सुझाव दिया.

सुशील मोदी के आरोप के बाद रोमांचक हो गया चुनाव
विपक्ष ने एनडीए विधायकों से अपील की है कि वे सबसे अनुभवी और बेहतर प्रत्याशी को अपना समर्थन दें. विपक्ष का दावा है कि अवध बिहारी चौधरी स्पीकर पद के लिए सबसे योग्य सदस्य हैं. दूसरी तरफ पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने लालू यादव पर बड़ा आरोप लगाते हुए एनडीए विधायकों को तोड़ने की कोशिश और सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया है. सुशील मोदी ने एक मोबाइल नंबर भी जारी किया है और दावा किया है कि लालू यादव जेल में रहते हुए भी फोन से बातचीत कर रहे हैं. ऐसे में अध्यक्ष पद का चुनाव बेहद रोमांचक हो गया है.

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