पटना: वोट काटने की राजनीति बिहार (votekatwa bihar politics) में चुनाव जीतने की एक प्रमुख रणनीति के रूप में उभरी है, जिसमें सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों दोनों का ध्यान इस बात पर है कि अपने विरोधियों के वोट कैसे काटे जाएं. इस 'वोट कटवा' की राजनीति ने राज्य में छोटे दलों के महत्व को काफी बढ़ा दिया (votekatwa performance in Kurhani by election) है, खासकर गोपालगंज उपचुनाव के बाद और इसी रणनीति को कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव और शायद 2024 के लोकसभा चुनावों में भी दोहराया जा सकता है.
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वीआईपी के उम्मीदवार काटेंगे सवर्ण वोटः 'वोट कटवा' की राजनीति की बात तब जोर पकड़ी जब बीजेपी नेताओं ने दावा करना शुरू कर दिया कि वीआईपी के उम्मीदवार नीलाभ कुमार कुढ़नी में बीजेपी के सवर्ण वोट काटकर जेडी-यू के मनोज कुशवाहा की मदद करेंगे. उधर जदयू नेता दावा कर रहे हैं कि एआईएमआईएम प्रत्याशी गुलाम मुर्तजा जदयू के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाकर भाजपा प्रत्याशी केदार गुप्ता की मदद करेंगे.