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दृष्टिबाधित शारदा अब दूसरों की जिंदगी करेंगी रोशन, शिक्षक बन बच्चों को दिखाएंगी राह

पटना की दृष्टिबाधित शारदा (Visually Impaired Sharda of Patna) ने अपने बुलंद हौसलों से हर मुसीबत को पार करते हुए प्रारंभिक शिक्षक बनने का सपना साकार किया है. शारदा अब अपनी प्रतिभा से छात्रों और समाज का मार्गदर्शन करेंगी. साथ ही बच्चों को शिक्षा के गुर सिखाएंगी. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

पटना की दृष्टिबाधित शारदा
पटना की दृष्टिबाधित शारदा

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Published : Feb 24, 2022, 7:08 PM IST

पटना: बिहार में प्रारंभिक शिक्षक (Primary Teacher in Bihar) बनने के इंतजार में लंबे समय से आस लगाए बैठे शिक्षकों का इंतजार अब खत्म हो गया है. 23 फरवरी को अंतिम रूप से चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किया जा रहा है. इसी बीच एक ऐसी तस्वीर सामने आई जिसके बारे में हम आपको बता रहे हैं. कहा जाता है कि हौसला बुलंद हो तो हर रास्ता आसान हो जाता है. बिहार के छपरा जिले की रहने वाली शारदा पर ये कहावत सटीक बैठती है.

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शारदा का सपना हुआ साकार:बुधवार को पटना के कन्या मध्य विद्यालय स्कूल में चयनित शिक्षकों को नियुक्ति प्रमाण पत्र दिया जा रहा था. काफी खुशी के माहौल के बीच शिक्षक एक-एक करके अपना नियुक्ति पत्र लेकर निकल रहे थे. उसी शिक्षकों में छपरा जिले के मशरक की रहने वाली 30 वर्षीय शारदा सबसे अलग थीं. शारदा बचपन से ही देख नहीं सकती हैं, वो दृष्टिबाधित हैं. लेकिन, हौसला इतना कि हर मुसीबत को पार कर अब समाज को शिक्षा के प्रति जागरूक करेंगी.

शारदा हर क्लास में रहीं फर्स्ट: शारदा दृष्टिबाधित होते हुए भी बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज तरार रही हैं. हर क्लास में वह फर्स्ट रही हैं, मैट्रिक से लेकर डीएलएड परीक्षा में भी फर्स्ट रही हैं. उन्होंने हर मुसीबत को पार कर अपने सपनों तक पहुंचने के लिए खुद को तैयार किया हुआ है. उनके बुलंद हौसले का ही नतीजा है कि शारदा बच्चों को शिक्षा के गुर सिखाएंगी और समाज के उन लोगों को आईना दिखाएंगी जो अपने आपको किसी से कमजोर समझते हैं. शारदा का प्रारंभिक शिक्षक बनने का सपना साकार (Sharda dream of becoming Primary Teacher come true) हुआ.

''मेरे मन में शुरू से ही समाज सेविका बनने की इच्छा थी. मेरा मानना है कि दुनिया में शिक्षित होना बहुत जरूरी है. शिक्षा एक ऐसी धरोहर है जो कोई बांट नहीं सकता है, बल्कि शिक्षा बांटने से और बढ़ती है.''-शारदा, प्रारंभिक शिक्षक

परिवार का मिला पूरा सहयोग:शारदा को घर परिवार का पूरा सहयोग बचपन से ही मिला है. शारदा की पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं थी, यहां तक कि जिस स्कूल में वो पढ़ाई करती थी, वहां के टीचर से भी शारदा को पूरा सहयोग मिला. हालांकि, गांव और समाज के लोग शारदा को देखकर ताना मारते थे, लेकिन उसका उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता था. अपनी कामयाबी की तरफ वो लगातार बढ़ती रहीं, उन्होंने लोगों के तानों पर कभी ध्यान नहीं दिया और अपने हौसले को कभी टूटने नहीं दिया. जिसका नतीजा है कि आज वो इस मुकाम तक पहुंचने में सफल हैं.

बच्चों को सिखाएंगी शिक्षा के गुर: शारदा बचपन से ही दृष्टि बाधित होने के साथ-साथ आसपास के बच्चों को शिक्षा का पाठ पढ़ाते रही हैं. उनको बचपन से ही पढ़ने और पढ़ाने का शौक था. ऐसे में वो घड़ी आ गई जिसका इंतजार वो कई सालों से कर रहीं थी. शारदा का मानना है कि बच्चों में अगर शिक्षा का ज्ञान हो तो समाज की सभी कुरीतियों से ऊपर उठकर अपने आप को संवार सकते हैं. इससे समाज को भी बदला जा सकता है. इसी सपने को लेकर शारदा इस मुकाम तक पहुंच पाई है और वह इस सपने के जरिए समाज के उन तमाम लोगों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का काम करेंगी, जो अभी भी शिक्षा से कोसों दूर हैं.

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