बिहार

bihar

ETV Bharat / state

पटना में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने किया अखंड भारत कार्यक्रम का आयोजन

भारत को मजबूत कैसे बनाया जाए इस पर बात विचार किया गया. वहीं विश्व हिंदू परिषद के प्रांत अध्यक्ष आरएन सिंह ने कहा कि भारत का अतीत बहुत ही गौरवशाली रहा है. अगर भारत को फिर से विश्व गुरु बनाना है तो उसे अखंड होना ही होगा.

By

Published : Aug 17, 2019, 11:35 PM IST

बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद का संयुक्त कार्यक्रम

पटना: राजधानी के किदवईपुरी स्थित ठाकुर प्रसाद सामुदायिक भवन में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की ओर से अखंड भारत संकल्प दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद मरांडे, प्रांतीय अध्यक्ष डॉ आरएन सिंह, समेत हिंदू परिषद और बजरंग दल के कई नेता मौजूद रहे.

बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद का अखंड भारत कार्यक्रम

भारत का अतीत बहुत ही गौरवशाली रहा- आरएन सिंह

दरअसल, यह कार्यक्रम अखंड भारत को लेकर किया गया था. इस समारोह में भारत को मजबूत कैसे बनाया जाए इस पर बात विचार किया गया. वहीं विश्व हिंदू परिषद के प्रांत अध्यक्ष आरएन सिंह ने कहा कि भारत का अतीत बहुत ही गौरवशाली रहा है. उन्होंने कहा कि उस वक्त विदेशियों का सपना होता था कि अपने जीवन काल में एक बार भारत में जाना चाहिए. 51 सौ वर्ष पहले महाभारत समाप्त हुआ था. इसके बाद भारत 26 सौ वर्षो तक सोने की चिड़िया बना रहा. 26 सौ वर्षों के बाद कई बार विदेशियों ने भारत पर आक्रमण किया. 14 सौ वर्ष पहले विदेशियों के आक्रमण ने अखंड भारत को खंडित कर दिया.

दीप प्रज्वलन

विश्व गुरु बनने के लिए अखंड होना जरुरी- मिलिंद मरांडे

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद मरांडे ने कहा कि भारत का विभाजन एक अप्राकृतिक घटना थी. अगर भारत को फिर से विश्व गुरु बनना है तो उसे अखंड होना ही होगा. उन्होंने जर्मनी का उदाहरण देते हुए कहा कि 40 वर्षों तक जर्मनी दो टुकड़ों में बंटा रहा, लेकिन आज जो जर्मनी है वह पूर्ण जर्मनी है.

बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद का संयुक्त कार्यक्रम

पूजा पद्धति है भिन्न लेकिन हैं हिंदू

भारत की आज़ादी के बाद मुस्लिमों से राजनीतिज्ञों ने लेन-देन का व्यवहार बनाने की कोशिश की जिसके कारण मुस्लिम तुष्टीकरण की शुरुआत हुई. उन्होंने यह भी कहा कि प्रयाग में गंगा जमुना सरस्वती के मिलने के बाद नदी को गंगा कहा जाता है. लेकिन कुछ तुष्टीकरण के राजनेताओं ने इसे एक गंगा जमुनी तहजीब कहना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि गंगा-जमुना मिलकर गंगा ही होती है. उसी प्रकार ज्योग्राफिकल स्टेटस से अगर देखा जाए तो जितने भी भारत में रहने वाले हैं वह पूजा पद्धति भले भिन्न रखें लेकिन वह हिंदू ही हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details