पटना:विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख मुकेश सहनी ने गुरुवार को घोषणा करते हुए कहा किबिहार में आरक्षण की लड़ाईअब सड़कों पर लड़ी जाएगी. उन्होंने इसके लिए सभी को एक साथ आने की अपील की. वीआईपी बिहार के सभी प्रखंडों में 14 नवंबर से इसकी शुरुआत करेगी. अति पिछड़ों के नाम एक खुला पत्र जारी करते हुए उन्होंने कहा कि 4 अक्टूबर 2022 को पटना उच्च न्यायलय में सुनाया गया फैसला एक प्रकार से आरक्षण पर सुनाया गया परम्परागत फैसला है, जो अति पिछड़ा वर्ग को दी जा रही सम्पूर्ण आरक्षण पर प्रश्न चिह्न लगाता है.
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BJP को नहीं मिलेगा वोट :मुकेश सहनी ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 2024 के पहले बिहार में अति पिछड़ा का आरक्षण (EBC Reservation in Bihar) पूर्व के जैसे लागू नहीं हुआ तो 2024 और 2025 में एक भी वोट अति पिछड़ा द्वारा भाजपा को नहीं दिया जाएगा. उन्होंने पत्र में लिखा कि मुंगेरी लाल आयोग (1976) ने कहा है कि न्यायालय द्वारा आरक्षण के सवाल को हर बार उलझाने की कोशिश की जाती रही है. बिहार में 1951 में ही 94 अति पिछड़ा जातियों को अनुसूची-1 में शामिल किया गया था जो कर्पूरी ठाकुर के समय 108 थी और वर्तमान में 127 जातियां हैं, जिनकी जनसंख्या में भागीदारी लगभग 33 प्रतिशत है.
''बिहार में अत्यंत पिछड़ी जातियों को नगर निकाय चुनाव में आरक्षण देते हुए 2007 से लगातार चार बार पंचायत चुनाव और तीन बार नगर निकाय चुनाव हुई लेकिन कभी किसी प्रकार का रोक नहीं लगा. जैसे ही भाजपा सरकार से अलग हुई, वर्तमान सरकार को असहज करने, पिछड़ी जातियों के बीच फूट डालने के लिए आरएसएस, बीजेपी ने साजिश रचकर अति पिछड़ा आरक्षण पर हमला कराया है. तेरह पॉइंट रोस्टर हो या प्रोन्नति में आरक्षण का सवाल हो, हमेशा से भाजपा द्वारा पिछड़े वर्ग के लोगों को परेशान किया गया है.''- मुकेश सहनी, वीआईपी प्रमुख
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न्यायायिक पिछड़ापन पर देश में हो बहस:वीआईपी चीफ ने कहा कि न्यायायिक पिछड़ापन पर भी देश में बहस होनी चाहिए. यह सर्वविदित है कि जनसंघ (भाजपा) शुरुआत से ही आरक्षण के खिलाफ (BJP against reservation from very beginning) रहा है और जब से केंद्र में भाजपा (2014) की सरकार आई है. पिछड़ी जातियों एवं अनुसूचित जातियों के आरक्षण पर लगातार हमले हो रहे हैं. जनसंघ (भाजपा) ने अत्यंत पिछड़ी जाति के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मुख्यमंत्री के पद से हटाया एवं उनके आरक्षण नीति का विरोध किया था. सहनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च 2021 के निर्णय में महाराष्ट्र के कुछ जिलों में नगर निकाय एवं पंचायत के चुनाव के सन्दर्भ में 'ट्रिपल टेस्ट' का सवाल उठाया था ना कि पूरे देश के संदर्भ में. इस निर्णय के बाद गुजरात, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों में चुनाव संपन्न हुए. वहां पर कोर्ट द्वारा रोक नहीं लगाया क्योंकि वहां भाजपा की सरकार थी.
आरक्षण कोई भीख नहीं:सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को धन्यवाद देते हुए कहा उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले के तत्काल बाद बिहार में नगर निकाय के सभी सीटों के चुनाव पर रोक लगाकर 'अति पिछड़ा वर्ग' को पुनः संरक्षण देने का काम किये हैं. आरक्षण कोई भीख नहीं है, यह संविधान के गर्भ से निकला है. पिछले 3000 वर्षों से भारत में उच्च जातियों को 90% तक अघोषित आरक्षण प्राप्त है. बीजेपी और आरएसएस को जब-जब सत्ता का डर सताता है तब-तब मंडल के विरोध में कमण्डल को आगे करता है.