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IPS आदित्य कुमार के ठिकानों पर निगरानी का छापा, 20 लाख नकद और 90 लाख बैंक खाते में मिले

आईपीएस आदित्य कुमार के ठिकानों पर निगरानी ने छापा मारा है. छापेमारी में फरार आईपीएस के ठिकानों से 20 लाख नकद और 90 लाख रुपये (Vigilance recovered Property worth crores) बैंक खातों में मिले. इसके अलावा भी कई अन्य संपत्तियों का पता चला है. पढ़ें पूरी खबर..

आईपीएस आदित्य कुमार के ठिकानों पर निगरानी का छापा
आईपीएस आदित्य कुमार के ठिकानों पर निगरानी का छापा

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Published : Dec 7, 2022, 6:26 PM IST

पटना: बिहार की राजधानी पटना में आय से अधिक संपत्ति मामले में विशेष निगरानी विभाग ने फरार चल रहे हैं निलंबितआईपीएस आदित्य कुमार के ठिकानों पर छापेमारी (Vigilance raid on IPS Aditya Kumar places) की. इस दौरान अकूत संपत्ति का पता चला है. छापेमारी के दौरान उनके फ्लैट से 20 लाख रुपए नकद और विभिन्न बैंकों के खाते में लगभग 90 लाख रुपए और एफडी में पांच लाख के निवेश का पता चला है.

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131% आय से अधिक संपत्ति का मामला:विशेष निगरानी विभाग के द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार कांड में वर्णित आरोपों के आधार पर लगभग 131% आय से अधिक संपत्ति का मामला है. कांड दर्ज करने के बाद अभियुक्त के खिलाफ न्यायालय से आवेदन देकर उनके खिलाफ तलाशी वारंट के आधार पर अभियुक्त के तीन ठिकानों पर छापेमारी की गई. छापेमारी के दौरान पता चला कि पटना कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में उनके द्वारा 18 लाख का प्लॉट लिया गया है. इसके अलावा गाजियाबाद में 30 लाख का और पटना के सगुना मोड़ पर 60 लाख का फ्लैट लिया गया है. इसकी कुल कीमत एक करोड़ आठ लाख है.

परिजनों के नाम बैंक में खाते और लाॅकर: इसके अलावा अभियुक्त द्वारा स्टेट बैंक और अन्य बैंकों में अपने अपने परिजनों के नाम पर विभिन्न प्रकार के निर्देश एवं पासबुक तथा लॉकर कभी पता चला है. अभियुक्त के पटना स्थित वसीकुंज सोसायटी, सगुना मोड़ के फ्लैट के इंटीरियर और विभिन्न प्रकार के कीमती सामानों का पता चला. इन सब की कुल कीमत लगभग 18 से 20 लाख के बीच लगाई गई है.

शराबबंदी कानून के उल्लंघन का मामला दर्जः पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार के खिलाफ गया के फतेहपुर थाना में शराबबंदी कानून का उल्लंघन कराने का मामला दर्ज है. इसी आरोप में उनको गया से हटाया गया था. अब फोन करने के मामले में पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार समेत पांच पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इओयू ने रविवार को इस मामले में अभिषेक कुमार और तीन अन्य काे गिरफ्तार किया है. पूरे मामले में आर्थिक अपराध इकाई ने आधिकारिक तौर पर कुछ भी बताने से इंकार किया है.


फर्जी चीफ जस्टिस बनकर डीजीपी को दिया था झांसा: आईपीएस आदित्य कुमार ने अपने ऊपर लगे आरोपों से मुक्ति के लिए अभिषेक अग्रवाल के साथ गेम प्लान किया. योजना के मुताबिक अभिषेक अग्रवाल को छद्म मुख्य न्यायधीश बनाया गया. अभिषेक अग्रवाल ने मुख्य न्यायाधीश के नाम पर बिहार के डीजीपी एसके सिंघल को फोन किया और आदित्य कुमार पर चल रहे प्रोसीडिंग खत्म करने का आदेश दिया. अभिषेक अग्रवाल मुख्य न्यायाधीश बन कर 30 से 40 बार डीजीपी एसके सिंघल से बात करते हैं. फिर आदित्य कुमार को डीजीपी के स्तर से क्लीनचिट दे दिया जाता है. मामले की भनक जब मुख्यमंत्री सचिवालय को लगी तब पुलिस महकमे में हड़कंप मचा. जांच की कार्रवाई शुरू हुई.

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