पटना:बिहार में भाजपा और जदयू शासित एनडीए की सरकार है और राजधानी पटना की बात करें तो यहां नगर निकाय पर भाजपा का कब्जा है. भाजपा समर्थित उम्मीदवार नगर की मेयर हैं, लेकिन बावजूद इसके पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) और नगर विकास विभाग (Patna Urban Development Department) के बीच खींचतान चल रही है. इससे शहर में नगर निगम के वेंडिंग जोन की योजना (Vending Zone Scheme In Patna) अधर में लटकी हुई है.
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वेंडिंग जोन का निर्माण कार्य पड़ा ठप: पटना नगर निगम का चुनाव साल 2017 में संपन्न हुआ जिसके बाद प्रमुख सड़कों पर लगने वाले दुकानों को वेंडिंग जोन में शिफ्ट करने का प्लान तैयार किया गया. साल 2018 में पटना नगर निगम ने तीन वेंडिंग जोन कदम कुआं, जेडी वीमेंस कॉलेज के पास शेखपुरा मोड़ पर और बोरिंग रोड में हड़ताली मोड़ से राजापुर के बीच में करोड़ों की लागत से वेंडिंग जोन का निर्माण होना था. लेकिन यह निर्माण कार्य शुरू होते ही ठप पड़ गया और वजह नगर विकास विभाग का लगाया गया पेंच था.
वेंडिंग जोन के निर्माण के लिए तीन जगह चिन्हित: पटना नगर निगम के सशक्त स्थाई समिति के सदस्य और वार्ड 38 के पार्षद डॉ. आशीष कुमार सिन्हा बताते हैं कि शहर के प्रमुख सड़कों पर वेंडर्स के कारण होने वाली जाम की समस्या और वेंडर्स को कार्य के लिए एक प्रतिष्ठित जगह उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नगर निगम ने शहर में तीन जगह चिन्हित किए. कदम कुआं इलाका, शेखपुरा इलाका और बोरिंग रोड का इलाका जहां पर वेंडिंग जोन का निर्माण होना था. कदम कुआं वेंडिंग जोन में 200 दुकान तैयार होने थे बोरिंग रोड के वेंडिंग जोन में हड़ताली मोड़ से राजापुर के बीच लगभग 600 दुकान तैयार होने थे और जेडी विमेंस कॉलेज के पीछे हड़ताली मोड़ के पास वेंडिंग जोन में भी लगभग 200 दुकान तैयार होने थे. इसको लेकर के साल 2018 में नगर निगम की तरफ से स्वीकृति मिली टेंडर भी खुल गया और कार्य भी शुरू हुआ. लेकिन इसी बीच नगर विकास विभाग की तरफ से एक पेंच लगा दिया गया.
नगर विकास विभाग ने किया रद्द: पार्षद डॉ. आशीष कुमार सिन्हा ने बताया कि नगर विकास विभाग ने निगम के टेंडर डिस्पोजल पर आपत्ति की और बताया कि नगर निगम का अधिकार नहीं है कि 2 करोड़ से अधिक की निविदा का निष्पादन करें. उन्होंने बताया कि यह नियम किसी जमाने में तय किया गया था जब महंगाई की स्थिति ऐसी नहीं थी और रुपये का वैल्यू भी अधिक था. मगर अभी तक इस नियम को ढ़ोना बजाय की निगम के दायरे को आगे बढ़ा जाए, यह पटना नगर निगम भी उचित नहीं समझता. नगर विकास विभाग की आपत्ति के बाद तमाम टेंडर को नगर निगम ने निष्पादन के लिए नगर विकास विभाग को भेज दिया, जिसके बाद नगर विकास विभाग ने इसे अनियमितता करार देते हुए रद्द कर दिया. उसके बाद यह कार्य पूरी तरह ठप पड़ गया.