बिहार

bihar

ETV Bharat / state

Vat Savitri Vrat 2023: आज महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करेंगी वट सावित्री पूजा, जानें शुभ मुहूर्त - Acharya Ramashankar Dubey

आज वट सावित्री व्रत है. महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री का व्रत कर रही हैं. आचार्य रामाशंकर दुबे ने वट सावित्री व्रत पूजा की मुहूर्त बताया. जाने पूजा-विधि..

वट सावित्री व्रत 2023
वट सावित्री व्रत 2023

By

Published : May 19, 2023, 12:05 AM IST

Updated : May 19, 2023, 7:52 AM IST

वट सावित्री व्रत की जानकारी देते आचार्य रामाशंकर दुबे

पटना:आज 19 मई शुक्रवार का दिन है. आज सुहागिन महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखेंगी. हर साल यह व्रत जेष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है. वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं.

ये भी पढ़ें- Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत कल, महिलाएं बाजार में कर रही हैं खरीदारी

पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत: आचार्य रामाशंकर दुबे ने बताया की देश में आज वट सावित्री व्रत किया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट सावित्री का व्रत महिलाएं अपनी पति के लंबी उम्र के लिए करती हैं. बताया कि गुरुवार की रात्रि में 10 बजे से अमवास्य हो गया. जो आज यानि 19 तारीख की रात्रि में 9:20 बजे समापन होगा. सूर्योदय काल से लेकर 10:30 तक वट सावित्री पूजा करने का शुभ मुहूर्त है. वट सावित्री की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए की जाती है.

व्रत से एक दिन पहले करें घर की सफाई: वट सावित्री के एक दिन पहले महिलाओं को घर आंगन की साफ सफाई करकने के बाद स्नान कर पूजा-अर्चना कर शुद्ध भोजन करना चाहिए. आज सुहागिन महिलाएं वट सावित्री की पूजा वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की विधि विधान से पूजा कड़ेंगी. वट सावित्री का पूजा सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आई थी. तभी से यह व्रत महिलाएं सावित्री के समान अपने पति के दीर्घायु के कामना के लिए करती है.

"सुहागिन महिलाओं को सबसे पहले आज के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करके लाल या पीले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए. फिर सोलह सिंगार करके तैयार हो जाएं और पूजा सामग्री एकत्रित करके थाली सजा लें. उसके बाद किसी भी बरगद की पेड़ के नीचे पहुंच कर वृक्ष में जल अर्पित करें. उसके बाद अक्षत, फूल, चंदन, रोली, मिठाई, फल चढ़ाकर पूजा करें. साथ ही पंखा चढ़ाने का विशेष महत्व है. वट वृक्ष में लाल या पिला सूत से लपेटे परिक्रमा करे हो सके तो 108 बार सूत लपेटे. उसके बाद ब्राह्मणों से कथा सुने. कथा सुनकर ब्राह्मण को दान दक्षिणा दे और गीत संगीत भी करें."- रामाशंकर दुबे, आचार्य

वट सावित्री व्रत का है पौराणिक महतव: आचार्य रामाशंकर दुबे ने बताया कि वट सावित्री व्रत का पौराणिक महतव है. धार्मिक मान्यता है कि सावित्री के पति सत्यवान की मृत्यु हो गई थी. जिससे बाद सत्यवान की पत्नी सावित्री अपने पति के जीवन को वापस लौटाने के लिए वट वृक्ष के नीचे अपने पुण्यधर्म से यमराज को प्रश्न करके अपने पति को वापस पायी थीं. इसी वजह से सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं. कहा यह भी जाता है कि वट वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा, तन में विष्णु और सबसे ऊपर तने पर भोले शंकर निवास करते हैं. इसलिए वट वृक्ष को देव वृक्ष भी कहा जाता है.

Last Updated : May 19, 2023, 7:52 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details