पटना: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) से पहले 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election) भाजपा के लिए लिटमस टेस्ट की तरह है. जातीय जनगणना (Caste Census) के मसले पर क्षेत्रीय पार्टियां भाजपा को घेरने में जुटी हैं. जदयू, हम और वीआईपी जैसे सहयोगी दल बीजेपी से टकराने की तैयारी में हैं. वहीं, विपक्ष दल भी भाजपा के साथ दो-दो हाथ करने को तैयार हैं.
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स्वतंत्र भारत में जातीय जनगणना किसी केंद्र सरकार ने नहीं कराया है. मंडल-कमंडल की सियासत के बाद जातीय जनगणना का शिगूफा क्षेत्रीय दलों ने छेड़ रखा है. तमाम तकनीकी चुनौतियों के बावजूद राजनीतिक दल जातीय जनगणना के पक्ष में आवाज बुलंद कर केंद्र पर दबाव बना रहे हैं. अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होगा. इस चुनाव में जातीय जनगणना मुद्दा बन सकता है.
भाजपा के लिए परेशानी यह है कि सहयोगी दल जातीय जनगणना के पक्ष में खड़े हैं. जेडीयू, हम और वीआईपी जातीय जनगणना को लेकर केंद्र पर दबाव बना रही है. उत्तर प्रदेश चुनाव में भी राजनीतिक दल जातीय जनगणना को लेकर जनता के बीच जाएंगे. अगर विधानसभा चुनाव में जातीय जनगणना मुद्दा बना तो भाजपा के लिए विपक्ष की रणनीति से निपटना बड़ी चुनौती होगी. भाजपा के सहयोगी दल भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीटें झटकने के लिए जातीय जनगणना को लेकर दबाव बना सकते हैं.