पटना: पटना हाईकोर्ट में बिहार गर्भाशय घोटाला मामले (Uterus scam in Bihar) पर अब 20 सितम्बर 2022 को सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को अब तक की गई कार्रवाई का ब्योरा हलफनामा पर दायर करने का निर्देश दिया था. जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने मुख्य सचिव को ये भी बताने को कहा था कि आगे इस मामले में क्या कार्रवाई करने की योजना है.
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"इस जनहित याचिका में दिए गए तथ्य वास्तविक नहीं है. बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष साढ़े चार सौ इस तरह के मामले आए थे. राज्य सरकार की जांच के बाद नौ जिलों में गर्भाशय निकाले जाने के सात सौ दो मामलें आए थे. इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई और आगे की कार्रवाई चल रही है. पीड़ित महिलाओं को क्षतिपूर्ति राज्य सरकार ने पचास हजार रुपये पहले ही दे दिए. इसके बाद बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने आदेश दिया था कि यह राशि बढ़ा कर डेढ़ और ढाई लाख रुपए बतौर क्षतिपूर्ति दिए जाए. क्षतिपूर्ति की राशि देने के लिए राज्य सरकार ने 5.89 करोड़ रुपए निर्गत कर दिए गए हैं."-ललित किशोर, एडवोकेट जनरल