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पटना: सड़क पर उतरे कुशवाहा, कहा- केंद्र को वापस लेना होगा CAA

रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सीएए और एनआरसी को लेकर केंद्र का रुख चिंताजनक है. पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है. इसके बाद भी केंद्रीय गृहमंत्री लगातार बयान दे रहे हैं कि वह नागरिकता संशोधन कानून को वापस नहीं लेंगे. यह बहुत अफसोसजनक है.

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भारत बंद के समर्थन में सड़क पर उतरे उपेंद्र कुशवाहा

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Published : Jan 29, 2020, 2:25 PM IST

पटना: नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में बुधवार को विभिन्न संगठनों की ओर से भारत बंद बुलाया गया. इस बंद का बिहार की विपक्षी पार्टियों ने भी समर्थन किया. भारत बंद को लेकर सड़क पर उतरे रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

करना पड़ेगा निर्णय में बदलाव'
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आम जनता शांतिपूर्वक तरीके से आंदोलन में लग चुकी है. हम किसी भी स्थिति में सीएए एनआरसी एनपीआर को जनता स्वीकार करने वाली नहीं है. हम लोग भी तब तक आंदोलन करते रहेंगे जब तक सरकार इसे वापस नहीं लेती है. उन्होंने कहा कि सरकार को यह कानून वापस लेना होगा. जनता से बड़ा कोई संगठन नहीं होता. कोई सरकार जनता से बड़ी नहीं होती है. सरकारी बोली है कि हम लोग जनता के साथ हैं. जनता सड़क पर है .इसलिए जनता की मांग को सरकार को माननी पड़ेगी. निश्चित रूप से उनको अपने निर्णय में बदलाव करना पड़ेगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'एनआरसी को लेकर केंद्र का रुख है चिंताजनक'
रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सीएए और एनआरसी को लेकर केंद्र का रुख चिंताजनक है. जब पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है. इसके बाद भी केंद्रीय गृहमंत्री लगातार बयान दे रहे हैं कि नागरिकता संशोधन कानून को वापस नहीं लेंगे. यह बहुत अफसोसजनक है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाता तब तक हम लोग इसका विरोध करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र इस पर पीछे हटने को तैयार नहीं है तो हम लोग भी इसका विरोध जारी रखेंगे.

भारत बंद के समर्थन में सड़क पर उतरे उपेंद्र कुशवाहा

पुलिस को सतर्कता बरतने की हिदायत
बहुजन क्रांति मोर्चा के आह्वान पर बुधवार को भारत बंद रहेगा. बंद को कई अन्य समान विचारधारा के संगठनों ने समर्थन दिया है. एनआरसी और सीएए कानून के खिलाफ ये राष्ट्रव्यापी आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा. बिहार में भी बंद को लेकर सभी जिले की पुलिस को सतर्कता बरतने की हिदायत दी गई है.

देश में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन का दौर
दरअसल, लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद 11 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बना ये कानून देश के लिए विवाद का मुद्दा बन गया. इसके विरोध में मुस्लिम समाज के साथ-साथ कई राजनीतिक संगठन भी सड़क पर आ गए. दिल्ली और यूपी से लेकर बंगाल, बिहार और झारखंड समेत पूरे देश में इसके खिलाफ प्रदर्शन का दौर चला पड़ा. कई बार आगजनी हुई, सड़के जाम की गईं लोगों की जानें भी गईं. लेकिन कानून के विरोध में ये आंदोलन अब भी नहीं थमा. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद देश का अल्पसंख्यक तबका और विपक्ष इसे मानने के लिए तैयार नहीं हैं. कानून के विरोध में खड़े लोग इसे वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं.

कानून को लेकर क्यों आक्रोशित हैं लोग
बता दें कि इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है. सरकार का कहना है कि इस कानून के तहत पड़ोसी मुस्लिम देशों के उन अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी, जिन्हें धर्म के आधार पर प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा. विपक्ष और विरोध करने वाले लोग इस बात को लेकर अड़े हैं कि भारतीय संविधान के तहत धर्म के अधार पर कानून नहीं चलेगा. यह देश के लिए खतरा है.

बता दें कि विभिन्न संगठनों की ओर से बुधवार को भारत बंद बुलाया गया. जिसमें राष्ट्रीय जनता दल, वीआईपी रालोसपा और हम समेत कई वामदलों ने भीअपना समर्थन दिया है.

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