पटनाः ओवैसी की पार्टी के विधायक (Akhtarul Iman Refused to sing National Song) अख्तरुल इमान के द्वारा बिहार विधानसभा में राष्ट्रगीत गाए जाने पर ऐतराज जताने के मामले पर सियासत (Politics In Bihar On National Song Issue) जारी है. इस बयान के बाद एक तरफ जहां बीजेपी के तेवर तल्ख है, तो वहीं, जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने इस बयान का समर्थन (Upendra Kushwaha supported Akhtarul Iman) किया है.
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"अगर कोई भी व्यक्ति नहीं बोलना चाहता है (राष्ट्रगीत), तो वाकई जबरदस्ती तो नहीं की जा सकती है उसके साथ. और कोई राष्ट्रगीत गाता है, इसी से वह बहुत बड़ा देशभक्त है, यह बात भी स्थापित नहीं की जाती है. देशभक्ति के लिए गीत गाना जरुरी नहीं है. अगर कोई कहे कि जबरदस्ती इस गीत को गाना ही है, तो यह ठीक नहीं है. - उपेन्द्र कुशवाहा, अध्यक्ष, जेडीयू संसदीय बोर्ड
उपेन्द्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि गांव में रहने वाले सब लोगों को कहां राष्ट्रगीत याद है? पढ़ने-लिखने वाले लोगों को तो पता भी है, हमलोगों को कहां राष्ट्रगीत याद है. राष्ट्रगान के बारे में ज्यादातर लोगों को मालूम है लेकिन राष्ट्रगीत के बारे में पूछिए तो नहीं बता पाएंगे कि राष्ट्रगीत क्या है. इसका मतलब जो नहीं बता पाएंगे वो देशभक्त नहीं हैं क्या?
बता दें कि एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल इमान ने कहा था कि ये देश 135 करोड़ देशवासियों का देश है. ये देश सेकुलर है. ये देश सबका है. उनको (बीजेपी वालों को) अगर हिन्दू राष्ट्र पसंद है तो वो नेपाल चले जाएं. किसी की मजाल नहीं है कि ये (राष्ट्रगीत) कहलवाए. मैं कह रहा हूं कि भारत में किसी के डंडे का राज नहीं है. भारत किसी की नीजि संपत्ति नहीं है. कोई इसे गाता है तो मैं रोक नहीं सकता. एसेंबली में जो हमारे बुजुर्गों ने जो परंपराएं दी हैं उसे निभाना लाजिम है. ये नई परंपरा डाली जा रही है. ये थोपा जा रहा है'