पटना: बिहार सरकार की ओर से जातीय गणना की समय सीमा फरवरी से बढ़ाकर अगले साल मई तक किए जाने पर सुशील मोदी ने सरकार पर टालने का आरोप लगाया है. इसको लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सुशील मोदी को केंद्र सरकार से आग्रह करनी चाहिए थी, जिसने जातीय गणना कराने से मना कर दिया. बिहार सरकार ने किसी कारण से समय बढ़ाया है (Bihar government will conduct caste census ). उस पर हाय तौबा मचाने की जरूरत नहीं है.
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जातीय जनगणना में देरीः जातीय गणना को लेकर बिहार में लंबे समय से सियासत हो रही है. केंद्र सरकार के मना करने के बाद नीतीश सरकार ने जातीय गणना करने का फैसला उस समय लिया था जब बिहार में एनडीए की सरकार थी. जातीय गणना करवाने की मुहिम उस वक्त विपक्ष में रहे तेजस्वी यादव भी शामिल थे. अब बिहार में सत्ता का समीकरण बदल गया है. महागठबंधन की सरकार बन गई है उसके बावजूद जातीय जनगणना शुरू नहीं हुआ है.