पटना: बिहार के पूर्व मंत्री और आरेजडी विधायक सुधाकर सिंह (upendra kushwaha on Sudhakar Singh) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला करते हुए उनकी तुलना शिखंडी (CM Nitish as Shikhandi) से कर दी थी. इसपर जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने निशाना साधा है. उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट करते हुए कहा है कि तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav) जी जरा गौर से देखिए-सुनिए अपने एक माननीय विधायक के बयान को और उन्हें बताईए कि राजनीति में भाषाई मर्यादा की बड़ी अहमियत होती है.
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सुधाकर सिंह के शिखंडी वाले बयान पर उपेंद्र कुशवाहा का पलटवार:अपने पोस्ट में आगे उपेंद्र कुशवाहा ने लिखा है कि वे उस शख्सियत को "शिखंडी" कह रहें हैं जिन्होंने बिहार को उस खौफनाक मंजर से मुक्ति दिलाने की "मर्दानगी" दिखाई थी, वह भी तब जब उसके खिलाफ कुछ भी बोलने के पहले लोग दाएं-बाएं झांक लेते थे. ऐसे बयानों से प्रदेश की लाखों-करोड़ों जनता एवं वर्तमान जद (यू.) और तत्कालीन समता पार्टी के उन हजारों कार्यकर्ताओं की भावना को चोट पहुंचती है. जिन्होंने उस दौर में Nitish Kumar जी का साथ-सहयोग दिया, कुर्बानी दी.
तेजस्वी यादव को नसीहत: सुधाकर जी को बताईए, कम से कम बिहार को उस खौफनाक मंजर से बाहर निकालने जैसे मर्दानगी भरे कार्यों के लिए तो नीतीश कुमार जी को बिहार का इतिहास निश्चित ही याद करेगा. अब आप ही बताइए, अबतक जनता के आशिर्वाद से राज्य में सबसे अधिक बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का रिकॉर्ड कायम करने वाले इतने बड़े नेता को कोई 'नाईट गॉर्ड' कहे, यह बिहार की समस्त जनता का अपमान नहीं तो और क्या है ? ऐसे बयानों पर जितनी जल्दी रोक लगे उतना श्रेयस्कर होगा. गठबंधन के लिए और शायद आपके लिए भी.
क्या कहा था सुधाकर सिंह ने? :सुधाकर सिंह ने एक निजी चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में कहा था कि नीतीश कुमार सिर्फ 2 महीने के लिए आए थे. उन्होंने पहले ही समझौता किया था कि तेजस्वी यादव को सीएम बनाएंगे. मगर अब वो तेजस्वी को सीएम बनने नहीं दे रहे हैं. इस दौरान उन्होंने सीएम नीतीश की तुलना शिखंडी से की. उन्होंने कहा कि इतिहास सबको याद नहीं रखता है.सीएम के तौर पर नीतीश का नाम आज याद है. लेकिन कुर्सी छिनने के बाद आपका काम ही आपके नाम को याद रखेगा. कर्पूरी ठाकुर या लालू प्रसाद यादव की तरह नीतीश कुमार कभी भी इतिहास के पन्नों में शामिल नहीं होंगे. बिहार का इतिहास उन्हें हमेशा शिखंडी के रूप में याद करेगा.वह जब राजद के पास आए थे तो उन्होंने कमिटमेंट दिया था कि नाइट वाचमैन के तौर पर दो-तीन माह के लिए कुर्सी पर रहेंगे, फिर कुर्सी तेजस्वी को सौंप देंगे.