पटना: राज्यसभा का उम्मीदवारी से आरसीपी का पत्ता साफ होने के बाद पूछा जा रहा है आरसीपी सिंह कहां हैं? (RCP Singh candidature issue in JDU) क्या वो केंद्र में मंत्री बने रहेंगे? उन्होंने अपने कार्यकाल को पीएम नरेंद्र मोदी की स्वेच्छा पर छोड़ दिया है. साथ ही ये भी कहने से नहीं चूके कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहें तो वो इस्तीफा दे देंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी आरसीपी को दोहरा झटका देना नहीं चाहते. वो जानते हैं कि उनका कार्यकाल अगले महीने खत्म हो रहा है. वो कब तक मंत्री रह सकते हैं इसका फैसला लेना पीएम का काम है. प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार (Prime Minister Privilege) है कि 6 महीने तक उन्हें मंत्री की कुर्सी पर बैठाए रख सकते हैं. इसका इशारा खुद आरसीपी सिंह ने भी कर दिया है.
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आरसीपी सिंह ने नहीं खोले पत्ते : दरअसल, जेडीयू ने झारखंड से खीरू महतो को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है जो अति पिछड़ा समुदाय से आते हैं. आरसीपी सिंह मोदी कैबिनेट में इस्पात मंत्री हैं और 7 जुलाई को उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है 7 जुलाई तक वह मंत्रिमंडल में बने रह सकते हैं. टिकट कटने के बाद आरसीपी सिंह मीडिया से मुखातिब हुए और अपने तेवर दिखाए. आरसीपी सिंह में नीतीश कुमार को जहां अपना नेता बताया वहीं ललन सिंह के साथ किसी तरह के विवाद से इनकार किया.
''ये प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है, हम उनके पास जाएंगे और कहेंगे सर मेरे लिए क्या आदेश है..? वो मंत्री से कभी भी इस्तीफा मांग सकते हैं और हम भी कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं. नरेंद्र मोदी हमारे सर्वमान्य नेता हैं उनसे बात करेंगे सबलोग. हमें पार्टी ने अब तक कोई आदेश नहीं दिया है.''- आरसीपी सिंह, केंद्रीय मंत्री
फिलहाल आरसीपी सिंह को पार्टी में किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं दी गई है. लेकिन वह पार्टी में बतौर और कार्यकर्ता बने रहेंगे. मंत्रिमंडल को लेकर भी केंद्रीय मंत्री ने कोई फैसला नहीं लिया है. दरअसल भाजपा चाहती थी कि आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बने रहें, लेकिन जदयू नेता आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते थे. आरसीपी सिंह को इस्तीफे के लिए तो बाध्य नहीं किया गया लेकिन उन्हें दोबारा राज्यसभा नहीं भेजा गया.
प्रधानमंत्री से मिलने के बाद करेंगे फैसला: आरसीपी सिंह को राज्यसभा नहीं भेजे जाने से आरसीपी समर्थकों में नाराजगी है. आरसीपी सिंह समर्थक प्रवीण कहते हैं कि नीतीश कुमार कभी भी नहीं चाहते हैं कि पार्टी में कोई दूसरा पावर सेंटर बने. इसलिए, आरसीपी सिंह को दोबारा राज्यसभा नहीं भेजा गया. जबकि केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने सब्र का परिचय दिया आरसीपी ने ना तो ललन सिंह पर हमला किया ना ही नीतीश कुमार को निशाना बनाया.