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कहीं कोई नाराज ना हो जाए! पटना पहुंचे RCP सिंह ने तोल-मोलकर रखी बात - Grand welcome to RCP Singh in Patna

केंद्रीय मंत्री बनने के बाद पहली बार पटना पहुंचे आरसीपी सिंह का भव्य स्वागत किया गया. हालांकि रोड शो के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई. उन्हें जदयू कार्यालय लाया गया, जहां डॉक्टरों के चेकअप के बाद वे कर्पूरी सभागार में आये. जिसके बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत की.

आरसीपी सिंह का स्वागत
आरसीपी सिंह का स्वागत

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Published : Aug 16, 2021, 10:08 PM IST

पटना: केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद पहली बार आरसीपी सिंह (RCP Singh) के पटना पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया. पटना एयरपोर्ट से लेकर पार्टी कार्यालय तक कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया. वहीं तेज धूप के कारण आरसीपी सिंह की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें जल्दी से पार्टी कार्यालय ले जाया गया. पार्टी कार्यालय में डॉक्टरों ने चेकअप भी किया और फिर आधे घंटे बाद आरसीपी सिंह कर्पूरी सभागार में आए और मीडिया से बातचीत की.

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कर्पूरी सभागा में मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने जातीय जनगणना सहित कई मुद्दों पर बात की और कहा कि हम सभी के नेता नीतीश कुमार हैं. उन्होंने कहा केंद्र में मंत्री हैं, इसलिए कार्यकर्ताओं का उत्साह देखते बन रहा है. आरसीपी सिंह जातीय जनगणना पर न तो नीतीश कुमार के समर्थन में खुलकर बोले और ना ही केंद्र सरकार के विरोध में उन्होंने बयानबाजी की.

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'केंद्र और राज्य दोनों का मकसद एक ही है. जहां बिहार को विकसित राष्ट्र बनाने की हम लोगों की कोशिश है तो वहीं केंद्र में हम लोगों की कोशिश समृद्ध राष्ट्र बनाने की है. ललन सिंह के साथ किसी तरह का कोई विवाद नहीं.':- आरसीपी सिंह, केंद्रीय मंत्री

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मीडिया से बातचीत में आरसीपी सिंह ने कहा कि जातीय जनगणना का मुद्दा इन दिनों बिहार में काफी उठ रहा है. मैं बताना चाहूंगा कि हड़प्पा सभ्यता के समय भी इसकी मांग होती थी. जब मगध साम्राज्य था, तभी भी बात आती थी लेकिन गणना क्यों कराना चाहते थे. लक्ष्य था कि ज्यादा से ज्यादा सरकार को टैक्स की कैसे वसूली हो, तो इस नजरिये से ऐसा कराते थे.

जहां तक आधुनिक जनगणना की बात है तो 1801 में इंग्लैंड से शुरू हुई. भारत में भी सबसे पहले 1878 में जनगणना हुई, फिर 1881 के बाद हर 10 साल पर जनगणना होने लगी. 1941 तक जो जनगणना होती थी, उसमें एक कॉलम होता था, जिसमें कास्ट और कास्ट में भी सब-कास्ट लिखा जाता था.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 1951 में आजाद भारत का पहला सेन्सस हुआ तो इस कॉलम को हटा दिया गया. हर जनगणना में सवालों की संख्या बढ़ती गई, लेकिन जाति वाला कॉलम कभी नहीं रखा गया, हालांकि बाद के दिनों में इसकी मांग जरूर होने लगी. आरसीपी सिंह ने कहा कि जातीय जनगणना की मांग सालों से होती रही है. देश की कई राजनीतिक पार्टियां इसकी मांग करती रही है. एक समय में इसकी मांग इसलिए भी होती थी, क्योंकि इस देश में आरक्षण एक मुद्दा था.

आरसीपी सिंह ने कहा कि बाद में आपने देखा कि पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई. इनमें क्रीमीलेयर (Creamy Layer) के जो ऊपर थे, उन्हें इसका लाभ नहीं मिला. सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं हो सकता है. बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामान्य श्रेणी के आर्थिक रुप से कमजोर लोगों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था दी. ऐसे में आज आरक्षण एक तरह से उस प्रकार का मुद्दा नहीं है, जो 70, 80 और 90 के दशक में होता था. सवाल है कि आरक्षण क्यों चाहिए?

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केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को ऐसे तो कर्पूरी सभागार में पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं से मुलाकात भी करनी थी लेकिन तबीयत बिगड़ने के कारण ना ही उन्होंने किसी से फूल माला लिया और ना ही गुलदस्ता. इससे पार्टी नेताओं को थोड़ी सी निराशा हुई लेकिन उनके स्वास्थ्य को लेकर पार्टी नेता भी एहतियात बरतते दिखे. वहीं आरसीपी सिंह का 17 और 18 को भी कार्यक्रम है लेकिन ये कार्यक्रम नालंदा और शेखपुरा में होगा.

बता दें कि10 दिनों के अंदर जदयू में बड़ा कार्यक्रम हुआ पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्र में मंत्री आरसीपी सिंह का आज स्वागत किया गया 6 अगस्त को ललन सिंह का भी भव्य स्वागत किया गया था. आरसीपी सिंह के स्वागत में पार्टी की ओर से पूरी ताकत लगाई गई.]

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