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कार्बन की मात्रा कम करने में UNEP बिहार की करेगा मदद, ये रहा प्लान

जलवायु परिवर्तन की वजह से पूरी दुनिया विभिन्न खतरों से जूझ रही है. कुछ दिन पहले उत्तराखंड के चमोली में हुई तबाही इसका एक ताजातरीन उदाहरण है. हर जगह प्रयास चल रहे हैं कि किस तरह प्रदूषण कम हो. इस दिशा में बिहार एक बड़ा प्रयास करने वाला है. दरअसल जलवायु परिवर्तन के पीछे एक बड़ी वजह कार्बन उत्सर्जन है, जिसे कम करने के लिए बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंटल प्रोग्राम के बीच महत्वपूर्ण समझौता होने वाला है. देखिए पटना से यह खास रिपोर्ट...

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Published : Feb 9, 2021, 7:49 PM IST

Updated : Feb 9, 2021, 9:50 PM IST

पटनाःजलवायु परिवर्तन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले ग्रीन हाउस इफेक्ट की वजह वातावरण में कार्बन की मात्रा का बढ़ना है. वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, मिथेन, विभिन्न नाइट्रस ऑक्साइड और अन्य खतरनाक गैसों के उत्सर्जन से ग्रीन हाउस इफेक्ट पैदा होता है. जो जलवायु परिवर्तन में प्रमुख भूमिका निभाता है.

ग्रीन हाउस इफेक्ट पैदा होने के कारण

इनके साथ-साथ पेट्रोल के उपयोग से, औद्योगिक इकाइयों से, कृषि में विभिन्न खाद बीज गोबर आदि के प्रयोग से, परिवहन से, विभिन्न निर्माण कार्यों से चूल्हा जलाने में कोयले के उपयोग से और विभिन्न इलेक्ट्रिक उपकरणों के उपयोग से भी कार्बन का उत्सर्जन होता है. जो ग्रीन हाउस इफेक्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

बिहार के लिए महत्वपूर्ण क्यों
बिहार हर साल बाढ़ और सूखा से बड़ी त्रासदी झेलता है. जलवायु परिवर्तन की वजह से बिहार में बारिश पर असर पड़ा है. जिसके कारण सरकार ने जल जीवन हरियाली नाम से एक महत्वाकांक्षी योजना चलाई. इस योजना के तहत कई बड़े कार्य किए गए हैं. अब बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम के बीच एमओयू होने वाला है. जिसके तहत यूएनईपी अगले 2 साल में बिहार में जलवायु परिवर्तन के लिए उत्तरदायी कार्बन एमिशन को कम करने के विभिन्न उपायों पर सलाह देगा.

इन कारणों से बढ़ रहा है कार्बन उत्सर्जन

12 फरवरी को दिल्ली में होने वाले इस आयोजन में बिहार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के तमाम अधिकारी भी शामिल होंगे.

'यूएनईपी से समझौते के बाद सबसे पहले बिहार में कार्बन उत्सर्जन की वर्तमान स्थिति का अध्ययन होगा. इस स्टडी में बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालय और रिसर्च इंस्टीट्यूट को भी शामिल किया जाएगा. यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोगाम कार्बन उत्सर्जन की स्थिति के अध्ययन के बाद बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कार्बन उत्सर्जन रोकने के उपाय भी बताएगा. हालांकि इनमें से कई उपायों पर पहले ही तैयारी शुरू हो चुकी है.'- डॉ. अशोक कुमार घोष, अध्यक्ष, बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

डॉ. अशोक कुमार घोष, अध्यक्ष, बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

'इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में बिहार का नगर विकास विभाग, पथ निर्माण विभाग, परिवहन विभाग, भवन निर्माण विभाग समेत कई विभाग शामिल होंगे. जिनके साथ समन्वय स्थापित कर यूएनईपी कार्बन उत्सर्जन के नियंत्रण के प्रभावी उपायों की पूरी सटीक रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपेगा. बिहार की प्राकृतिक संपदा को बचाने के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ईंट भट्ठों की चिमनी को नई तकनीक में तब्दील किया जा रहा है. इनके अलावा बिहार के हरित आवरण को बढ़ाने के साथ-साथ वेटलैंड्स को भी संरक्षित किया जा रहा है.'- दीपक कुमार सिंह, प्रधान सचिव, वन एवं पर्यावरण विभाग

दीपक कुमार सिंह, प्रधान सचिव, वन पर्यावरण विभाग


क्या कहते हैं डॉक्टर
डॉक्टर इस बात को मानते हैं कि कार्बन उत्सर्जन से सबसे ज्यादा नुकसान स्वास्थ्य के मामले में होता है. विशेष रूप से कार्बन की ज्यादा मात्रा से मनुष्य के फेफड़े का संक्रमण बढ़ता है. एलर्जी और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याएं इन्हीं वजहों से तेजी से बढ़ रही हैं. डॉ दिवाकर तेजस्वी ने ईटीवी भारत को बताया कि अगर वातावरण में कार्बन की मात्रा बढ़ती है, तो ऑक्सीजन लेवल कम होता है और उससे ना सिर्फ सांस लेने की परेशानी, बल्कि अनिद्रा और चिड़चिड़ापन जैसी तमाम समस्याएं भी हो सकती हैं.

सेहत के लिए हानिकारक

जानें क्या होता है ग्रीन हाउस इफेक्ट
ग्रीनहाउस प्रभाव या हरितगृह प्रभाव (greenhouse effect) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. जिसके द्वारा किसी ग्रह या उपग्रह के वातावरण में मौजूद कुछ गैसें वातावरण के तापमान को अपेक्षाकृत अधिक बनाने में मदद करतीं हैं. इन ग्रीनहाउस गैसों में कार्बन डाई आक्साइड, जल-वाष्प, मिथेन आदि शामिल हैं. यदि ग्रीनहाउस प्रभाव नहीं होता तो शायद ही पृथ्वी पर जीवन होता. क्योंकि तब पृथ्वी का औसत तापमान -18° सेल्सियस होता. न कि वर्तमान 15° सेल्सियस. धरती के वातावरण के तापमान को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हैं, जिसमें से ग्रीनहाउस प्रभाव एक है.

देखें पूरी रिपोर्ट

औसत तापमान में वृद्धि का कारण
पूरे विश्व के औसत तापमान में लगातार वृद्धि दर्ज की गयी है. ऐसा माना जा रहा है कि मानव द्वारा उत्पादित अतिरिक्त ग्रीनहाउस गैसों के कारण ऐसा हो रहा है. इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि यदि वृक्षों का बचाना है तो इन गैसों पर नियंत्रण करना होगा. क्योंकि सूरज तीव्र रोशनी और वातावरण में ऑक्सीजन की कमी से पहले ही वृक्षों के बने रहने की सम्भावनाएं कम होंगी.

Last Updated : Feb 9, 2021, 9:50 PM IST

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