पटना: 2020 में कोरोनाऔर लॉकडाउनके कारण अप्रैल में बेरोजगारी दर में 23.5% की वृद्धि हुई थी, हालांकि जब कोरोना के मामले कम होने लगे तो इस स्थिति में सुधार भी हुआ. इस साल मार्च में रोजगार में 6.5 % की वृद्धि हुई, लेकिन अप्रैल में बेरोजगारी दर 8% फिर बढ़ गई और 16 मई तक 14% से अधिक हो गई. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण देश में बेरोजगारी की दर तेजी से बढ़ रही है और नई ऊंचाइयों को छू रही है.
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बेरोजगारी में लगातार इजाफा
9 मई को बेरोजगारी दर ग्रामीण इलाकों में 7.29% थी, जो केवल 1 सप्ताह में बढ़कर 16 मई को 16.34 % हो गई. इसी तरह शहरी इलाकों में 9 मई को 11.72% बेरोजगारी दर थी, जो 1 सप्ताह में बढ़कर 16 मई को 14.71% हो गई है और इसमें लगातार इजाफा हो रहा है. बेरोजगारी दर 7 मई 2021 से 19 मई 2021 तक ग्रामीण इलाके में 7.29% से 14.71% और शहरी इलाके में 11.72% से 14.71% हो गई.
बैंकों की जमा राशि पर असर
बिहार में कुल 7600 बैंकों की शाखाओं से राशि की निकासी ज्यादा और जमा कम होने लगी. बिहार के बैंकों में 31 दिसंबर तक 3,02,498 करोड़ राशि जमा थी, लेकिन इसमें मार्च 2021 तक 16% की कमी आई है. अप्रैल और मई में इसमें और इजाफा हुआ है. पटना की 960, बेगूसराय की 248, नालंदा की 243, गोपालगंज की 166 और अन्य जिलों में बैंक शाखाओं से लगातार निकासी बढ़ी है.
पीएफ खाते से भी निकाल रहे राशि
लोग फिक्स डिपॉजिट भी लोग तोड़ रहे हैं. इसका एक बड़ा कारण कोरोना के कारण कामकाज ठप होना और रोजगार जाना भी है. देश में 3.5 करोड़ लोगों ने पीएफ खाता से 1.25 लाख करोड़ की राशि कोरोना काल में निकाल ली है. रियल स्टेट में दो हजार करोड़ की योजनाओं पर असर पड़ा है और बड़ी संख्या में लोग प्रभावित भी हुए हैं. नौकरी डॉट कॉम के अनुसार होटल और अतिथि क्षेत्र में इस साल मार्च में भर्ती में 8 फीसदी की गिरावट आई थी, जो मई तक 36 फीसदी से अधिक पहुंच गयी.
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''कोरोना के कारण बेरोजगारी देश के साथ बिहार में भी चरम पर है. ग्रामीण इलाकों में भी लॉकडाउन के कारण असर पड़ा है. पर्यटन और सेवा क्षेत्र पूरी तरह से ठप हैं. ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में लोग लौट रहे हैं, लेकिन वहां भी रोजगार नहीं है. सरकार की तरफ से गरीबों के लिए जरूर कदम उठाए गए हैं, उससे जरूर कुछ राहत मिली है. लेकिन इसके बावजूद लोगों की आय घटी है और रोजगार नहीं मिलने से लोगों की परेशानी बढ़ रही है.''- प्रोफेसर एनके चौधरी, आर्थिक विशेषज्ञ