पटना:लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी की तरफ से अब बिहार में गठबंधन को आकार देने की कोशिश शुरू हो गई है. गुरुवार को RLJD के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और अमित शाह की मुलाकात के बाद हलचलें तेज हो गई हैं. इसपर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि यह तो पहले से तय था. उपेंद्र कुशवाहा कितनी बार आए और कितनी बार गए. आज की राजनीतिक परिस्थिति में उपेंद्र कुशवाहा महत्वहीन हो चुके हैं, जिस कारण हाथ पैर मार रहे हैं और अमित शाह से मुलाकात की है.
Bihar Politics: 'कुशवाहा CM नीतीश को अपना नेता मानते हैं.. JDU उनका पुश्तैनी घर है'- उमेश कुशवाहा का बड़ा बयान - Union Home Minister Amit Shah
उपेंद्र कुशवाहा के किसी भी पार्टी में जाने से बिहार में कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. कुशवाहा समाज सीएम नीतीश के साथ है और जदयू उनका पुश्तैनी घर है. उपेंद्र कुशवाहा की बातों पर हमें हंसी आती है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात पर जदयू ने प्रतिक्रिया दी है.
बोले उमेश कुशवाहा- 'नीतीश के साथ है कुशवाहा वोट बैंक':उमेश कुशवाहा ने कहा कि पार्टी के सभी लोग जानते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा कितने बड़े महत्वाकांक्षी हैं और क्या-क्या उनका सपना है. लेकिन एक भी सपना उनका पूरा होने वाला नहीं है. उनके जाने से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. कुशवाहा वोट बैंक पर असर पड़ेगा के सवाल पर उमेश कुशवाहा ने कहा पहले भी हमसे अलग थे. 2020 के चुनाव में भी हम लोगों से अलग थे. कोई फर्क पड़ा क्या. सभी कुशवाहा का पुश्तैनी घर जदयू है. कुशवाहा, नीतीश कुमार को ही अपना नेता मानते हैं. उपेंद्र कुशवाहा की बातों पर हमें हंसी आती है.
"जो 7 बार पार्टी बनाता हो और 9 बार इधर से उधर करता हो उसके बारे में क्या चर्चा करना है. उपेंद्र कुशवाहा मेरे विरोध में चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन हमसे उनको कम वोट आया था. जिस बूथ पर वो खुद वोट डालते हैं वहां भी उनको हमसे कम वोट आया. उनका राजनीतिक वजूद समाप्त हो गया है. सिर्फ मीडिया उपेंद्र कुशवाहा को तवज्जों दिए हुए है. नहीं तो बीजेपी को भी पता है कि उपेंद्र कुशवाहा क्या है. उपेंद्र कुशवाहा और सम्राट चौधरी का कार्ड खेलने से कुछ होने वाला नहीं है. 2024 में महापरिवर्तन होगा."- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष,जदयू
बिहार में बीजेपी का प्लान:दरअसल सीएम नीतीश कुमार बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं. वहीं बीजेपी की कोशिश है कि बिहार में जदयू को कमजोर बना दिया जाए. भाजपा मिशन 2024 और 2025 को लेकर अति पिछड़ों, दलितों और अगड़ी जातियों को लामबंद करने में लगी है. अगड़ी जाति के वोट बैंक पर फिलहाल नीतीश कुमार की भी नजर है. तमाम पार्टियां बिहार मे अपने-अपने तरीके से चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है क्योंकि बिहार में जाति के आधार पर ही पार्टियों को वोट मिलता है. इसलिए दलों का फोकस विकास या लोगों से जुड़ी समस्याओं पर कम और जातीय समीकरण पर ज्यादा है.