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Violence in Bengal: बिहार के 5 पद्मश्री से सम्मानित समेत 25 बुद्धिजीवियों ने पत्र लिखकर की कार्रवाई की मांग

बंगाल हिंसा पर बिहार बुद्धिजीवियों के नाम का एक पत्र राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और बंगाल के मुख्यमंत्री को भेजा गया है. इसके जरिये कार्रवाई की मांग की गई है.

Violnece in Bengal
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Published : Jun 3, 2021, 10:36 PM IST

पटना:बंगाल की हिंसा को लेकर बिहार के 25 जाने-माने शख्सियतों ने राज्यपाल फागू चौहान के साथ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और बंगाल के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी चिंता जताई है. पत्र में बिहार के जाने-माने चिकित्सक डॉ. आर एन सिंह, डॉक्टर नरेंद्र प्रसाद, डॉ. जितेंद्र सिंह भी शामिल हैं.

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पद्मश्री से सम्मानित
इसके अलावा डॉ. श्यामा शर्मा और डॉ. विमल जैन का भी नाम है. यह पांचों पद्मश्री से सम्मानित भी हैं. इसके अलावा भेजे गए पत्र में जिन लोगों का नाम है, उसमें पूर्व जस्टिस राजेन्द्र प्रसाद, कथक नित्यांगना और पूर्व IPS शोभना नारायणन, पूर्व थल सेनाध्यक्ष ले. जनरल अशोक चौधरी, डॉ. सहजानंद कुमार, बीआईए के पूर्व अध्यक्ष केपीएस केसरी और पूर्व DGP डीएन गौतम भी हैं.

इन 25 बुद्धिजीवियों ने लिखा पत्र

बिहार के 25 बुद्धिजीवियों के नाम से जो पत्र भेजा गया है, उसमें 13 बातों का जिक्र है और बंगाल हिंसा को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है-

पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग
  • बंगाल हिंसा ने संविधान, संवैधानिक संस्थाओं और भारतीय लोकतंत्र में हमारे दृढ़ विश्वास को झकझोर कर रख दिया है.
  • 23 हिंसा-हत्या के, 4 दुष्कर्म के और दुष्कर्म की धमकी के 39 मामले दर्ज हो चुके हैं.
  • 191 शेल्टर होम में कुल 6779 लोग शरण लिए हुए हैं.
  • 2157 पार्टी कार्यकर्ताओं या समर्थकों पर हमला किया जा चुका है.
  • भाजपा के 692 कार्यकर्ताओं को जान से मारने की धमकी दी गई है.
  • 3886 लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है.
  • आस-पास के राज्य जैसे असम में 1800 लोग आश्रय लिए हुए हैं.
  • कुल पीड़ितों की संख्या 70 हजार से भी ज्यादा है और 3000 गांव इस हिंसा से प्रभावित हैं.
  • मुख्य रूप से पीड़ितों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, गरीब जन, सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूह के लोग हैं. बड़े पैमाने पर महिलाएं भी इसकी शिकार हुई हैं.
  • प्रशासन द्वारा लोगों की FIR दर्ज नहीं की जा रही है. महिलाओं की शिकायतों के लिए कोई मेडिकल जांच टीम भी नहीं है. कई मामलों में हत्या की FIR भी दर्ज नहीं की जा रही है.
  • 23 लोगों की हत्या हो चुकी है, जिसमें अनुसूचित जाति के 11, अनुसूचित जनजाति के 1 और 3 महिलाएं शामिल हैं.
  • जिन लोगों ने अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल किया, उन लोगों के खिलाफ चुनावी बदले की भावना से ये हिंसा हो रही है.
  • हिंसा करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.
  • राज्य मशीनरी विशेष रूप से पुलिस की ओर से पीड़ित व्यक्तियों को कोई सहयोग नहीं मिल रहा है.

बिहार बुद्धिजीवियों के नाम से जो पत्र भेजा गया है, उसमें आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सहजानंद का भी नाम है. लेकिन डॉक्टर सहजानंद ने कहा कि मुझसे कोई सहमति नहीं ली गई है.

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