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Published : Aug 26, 2021, 7:08 AM IST

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पटना में है 20 करोड़ साल पुराना पेड़, रोचक है इसका रहस्य...

ये दुनिया रहस्यों से भरी हुई है. वहीं, पटना के संग्राहलय में एक 20 करोड़ साल पुराना रहस्यमयी पेड़ देखने को मिलता है. जिसका नाम फॉसिल ट्री (Fossil Tree) है. आइये जानते हैं इस पेड़ का रहस्य...

पेड़
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पटना: बिहार ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से सशक्त माना जाता है. राज्य में कई ऐसे अवशेष मिले हैं जिसकी ऐतिहासिकता लोगों को हैरान करती है. राजधानी पटना में रहने वाले बहुत कम ही लोगों को मालूम होगा कि यहां (Patna) अति प्राचीन पेड़भी है. 20 करोड़ साल पुराना ये पेड़ (Old Tree) लोगों के लिए आज भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

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राजधानी पटना में कई ऐतिहासिक और पुरातात्विक अवशेष अभी भी पड़े हुए हैं. पटना म्यूजियम (Patna Museum) में सबसे पुराना फॉसिल ट्री (Fossil Tree) है, जो 20 करोड़ साल पुराना है. आम लोगों के लिए चीड़ का ये पेड़ पहेली बना हुआ है. 53 फीट लंबा पेड़ आसनसोल के नजदीक मिला था. 1927 में जब रेल पटरी का निर्माण कराया जा रहा था, तो उसी दौरान जमीन के नीचे से चीड़ के पेड़ (Pine Tree) को निकाला गया था. जिसके बाद पेड़ को पटना म्यूजियम में लाया गया था.

देखें रिपोर्ट.

'यह पेड़ हिमालय की तराई क्षेत्र में पाया जाता है. कालांतर में हिम युग में ग्लेशियर के साथ बहकर पेड़ मैदानी इलाके में आ गया होगा. जिसके बाद किसी झील के नीचे दबकर रह गया होगा. वहीं समय अंतराल में बालू, पानी और मिट्टी के मेल से पत्थर में तब्दील हो गया होगा.' -डॉ शंकर सुमन, संग्रहालय अध्यक्ष

पत्थर में तब्दील हो चुका चीड़ का यह पेड़ अपने आप में अनूठा है. भारत में अति प्राचीनतम पेड़ों की श्रेणी में इस पेड़ का स्थान दूसरा है. पत्थरनुमा पेड़ की मजबूती और चमक आज भी बरकरार है.

संग्रहालय अध्यक्ष डॉ शंकर सुमन कहते हैं कि फॉसिल ट्री 53 फीट लंबा है. चीड़ का यह फॉसिल ट्री अति प्राचीन है. आमतौर पर यह पेड़ हिमालय की तराई क्षेत्रों में पाया जाता है. संग्रहालय अध्यक्ष का मानना है कि ग्लेशियर के सहारे यह पेड़ बहकर मैदानी इलाके में आ गया होगा. करोड़ों वर्ष जमीन के अंदर दबे रहने के बाद पत्थर में तब्दील हो गया होगा.

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'चीड़ का यह पेड़ पत्थर में तब्दील हो चुका है. करोड़ों वर्ष तक जब हड्डी और बीज जैसी चीज जमीन के अंदर दबा रह जाता है, तो वह पत्थर का रूप अख्तियार कर लेता है. चीड़ के इस पेड़ के साथ भी वैसा ही हुआ होगा.'-डॉक्टर अनिल कुमार, म्यूजियम गाइड

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