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लॉकडाउन की मार, धीमी पड़ी ट्रक चालकों की जिंदगी की रफ्तार

लॉकडाउन के कारण ट्रक चालकों के सामने खाने की भी समस्या खड़ी हो गई है. पास में जो पैसे और खाने के सामान थे, वो भी अब खत्म होने लगा है. हाइवे पर कोई होटल खुला नहीं है और किसी गांव में कोरोना के खतरे के कारण शरण भी नहीं ले सकते.

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Published : Apr 12, 2020, 6:53 PM IST

ट्रक चालक
ट्रक चालक

पटना:अमूमन सड़कों पर सरपट दौड़ने वाले ट्रकों का चक्का इन दिनों थम गया है. थम गई है उन ट्रक चालकों की जिंदगी भी, जो दिन हो या रात, सर्दी हो या गर्मी या फिर बरसात मस्त मगन होकर तेज आवाज में संगीत सुनते हुए बस चलते ही रहते हैं. लेकिन इस लॉकडाउन ने इनकी जिंदगी की रफ्तार पर मानो ब्रेक लगा दिया है.

ये ट्रक चालक कहते हैं हमारे लिए इस समय परेशानी तो बहुत है, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत खाने की है. बाजार बंद है और गांव जा नहीं सकते. जितना सामान पास में है, उसी से पेट भरते हैं. कुछ खाने को नहीं मिलता तो भूखे पेट ही आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं, इस उम्मीद में कि आगे कुछ मिल जाए.

ट्रक का केबिन ही चालकों का आशियाना

सोना पड़ता है भूखे भी

चूकि लॉकडाउन का तीसरा सप्ताह चल रहा है, ऐसे में इन ट्रक चालकों के पास में जो भी खाने-पीने की चीजें थी, खत्म हो रही हैं. ट्रक चालक कहते हैं कि आगे बढ़ते-बढ़ते कहीं कोई दुकान खुली दिख जाती है तो खाने-पीने का कुछ सामान खरीद लेते हैं. इन्हें इस बात की चिंता भी सताए जा रही है कि अगर लॉकडाउन आगे भी जारी रहा तो कैसे पेट भरेगा. पैसे खत्म हो रहे हैं और राशन बचे नहीं हैं. भूखे पेट कितने दिन और कट पाएंगे.

संवाददाता रंजीत कुमार की रिपोर्ट

ट्रांसपोर्ट यूनियन ने की सरकार से मदद की मांग

ट्रक के केबिन को आशियाना बनाकर रहने वाले ट्रक चालक और खलासी अपने जीवन का ज्यादा वक्त सड़कों और हाइवे पर ही गुजार देते हैं. ऐसे में इनके लिए एक-एक दिन काटना मुश्किल साबित हो रहा है. ऐसे में ट्रांसपोर्ट यूनियन ने सरकार से इनके लिए मदद मुहैया कराने की मांग की है. यूं तो ट्रक चालकों की जिंदगी पहले भी आसान नहीं थी, ऊपर से इस लॉकडाउन ने मुसीबत और बढ़ा दी है. कोरोना वायरस के साए में पेट पालने की चिंता इन्हें रोज परेशान कर रही है. अब तो बस इंतजार है कि ये वक्त गुजर जाए और सबकुछ पहले जैसा हो जाए.

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