पटना(बिहटा): राजधानी से सटे बिहटा में 1942 में तिरंगा फहराकर फिरंगियों को चुनौती देने के क्रम में शहीद होने वाले स्वतंत्रता सेनानी टिपन मौआर की 78वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. बिहटा में उनके पौत्र डॉ. ललित मोहन शर्मा के आवास पर आयोजित सभा में मुख्य अतिथि के रूप में बिहटा थाना इंस्पेक्टर अतुलेश कुमार सिंह मौजूद रहे. साथ ही समाज के कई बुद्धिजीवी लोग भी उपस्थित रहे.
अतुलेश कुमार सिंह ने कहा कि बिहटा की धरती का प्रारंभ से ही अपना खास ऐहतिहासिक और पौराणिक महत्व रहा है. यहां के रणबांकुरों ने जिस वीरता के साथ आजादी की लड़ाई लड़ी, उसकी कहानी आज भी रोंगटे खड़ी कर देने वाली है. विशेष रूप से बिहटा के राघोपुर निवासी टिपन मौआर की योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि वे एक निर्भीक और दृढ़ निश्चयी क्रांतिकारी थे. जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने जीवन की आहुति दे दी. उनकी वीरता की गाथा देशवासियों के लिए प्रेरणा का एक स्रोत है.
स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते लोग स्वतंत्रता सेनानी पर स्कूल का नाम रखने की मांग
कार्यक्रम का संचालन निर्मल मिश्रा और धन्यवाद ज्ञापन अमित्रजीत कुमार ने किया. कार्यक्रम के दौरान सभी लोगों सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए दिखे. क्षेत्र के वशिष्ठ पत्रकार किशोर चौहान और अमित्रजीत ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए राघोपुर उच्च विद्यालय और बिहटा ओभरब्रिज का नामकरण टिपन मौआर के नाम पर करने की मांग की. उनका कहना था कि स्कूल की जमीन शहिद टिपन मौआर ने ही दान में दी थी. जिसको लेकर स्कूल का भी नाम उनके नाम पर होना चाहिए.
1942 में शहीद हुए थे टिपन मौआर
वहीं, प्रख्यात चिकित्सक सह शहिद के पौत्र डॉ. ललित मोहन शर्मा ने कहा कि वर्ष 1942 में महात्मा गाधी के आह्वान पर अंग्रेजो भारत छोड़ो आदोलन का नारा पूरे देश मे गूंज रहा था. देश भक्तों की ओर से सरकारी भवन पर तिरंगा फहराया जा रहा था. आजादी की लहर बिहटा में भी गूंजी थी. गली-मुहल्ले सभी जगहों पर भारत छोड़ो का नारा गूंज रहा था. वहीं, 19 अगस्त को पटना और बिक्रम में झंडा फहराने के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों ने गोली से छलनी कर दिया था. जिससे टिपन मौआर वीरगति को प्राप्त हो गए थे. उनके अलावा बिक्रम के भी तीन लोगों ने अपनी जान गवाई थी.