पटना:बिहार में इन दिनों जैविक खेती का ट्रेंडलगातार बढ़ रहा ( Trend of organic farming increased in Bihar) है. किसान बड़े पैमाने पर ऑर्गेनिक खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. पटना जिले के किसान भी जैविक खेती को अपना रहे हैं. विक्रम इलाके में किसान कई एकड़ जमीन में जैविक खेती कर रहे हैं. खास बात यह है कि अनाज के अलावा सब्जियों की जैविक खेती की जा रही है. जैविक खेती जहां किसानों को अधिक लाभ दे रहा है. वहीं खेतों की उर्वरता भी कायम रहती है. स्वास्थ्य को लेकर संवेदनशील लोग जैविक प्रोडक्ट को पसंद कर रहे हैं.
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73 हजार एकड़ में फैली जैविक खेती:बिहार के कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश के अंदर जैविक खेती के क्षेत्रफल के आंकड़ें जारी किए गए हैं. बिहार के अंदर जैविक खेती का रकबा 226.2 एकड़ से 73 हजार से अधिक एकड़ तक हुआ है. आंकड़ों के अनुसार 2015-16 में बिहार के अंदर 226 एकड़ में जैविक खेती को प्रमाणीकरण किया था. वहीं 2020-21 में 73859.2 एकड़ में जैविक खेती का प्रमाणीकरण किया गया है.
अलग है सबसे ऑर्गेनिक सब्जियों का स्वाद:किसान रंजीत कुमार कहते हैं कि तीन-चार साल से जैविक खेती कर रहे हैं. बगैर खाद के फसलों का उत्पादन किया जा रहा है. बड़े पैमाने पर हम लोग ऑर्गेनिक सब्जी का उत्पादन कर रहे हैं. आलू गोभी बैंगन और कद्दू का उत्पादन किया जा रहा है. ऑर्गेनिक सब्जियों का स्वाद सबसे अलग है.
सब्जियों में ऑक्सीटॉसिन का हो रहा इस्तेमाल:अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसान पेस्टिसाइड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके अलावा सब्जियों में ऑक्सीटॉसिन का इस्तेमाल भी धड़ल्ले से हो रहा है. पेस्टिसाइड के वजह से लोग कई बीमारियों का शिकार भी हो रहे हैं. वही कृषक अनिल राम का कहना है कि उन लोगों ने ऑर्गेनिक चावल का भी उत्पादन किया है. बक्सर से सोनाचूर चावल बेबी को मंगवाया गया था इसके अलावा ऑर्गेनिक तरीके से चावल के दूसरे किस्म भी उपजाए गए हैं. ऑर्गेनिक खेती से हमारे आय में भी इजाफा हुआ है.
''पेस्टिसाइड युक्त भोजन से लोग कई बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. ब्लड प्रेशर शुगर और मोटापा इसके लक्षण है पेस्टिसाइड्स भोजन से बचने के लिए ऑर्गेनिक प्रोडक्ट मानव शरीर के लिए बेहतर है.'':- डॉ. विनोद कुमार, प्रख्यात चिकित्सक