पटना:बिहार में लगातारब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पटना के आईजीआईएमएस कोब्लैक फंगसके इलाज के लिए चिह्नित किया गया है. यहां ब्लैक फंगस के रोगियों के इलाज के लिए डॉक्टरों की टीम बनाई गई है और खास इंतजाम किए गए हैं. जब यहां ज्यादा मरीज आने लगे तो अब संस्थान में नॉन कोविड ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी शुरू किया गया है.
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आईजीआइएमएस में ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज लगातार किया जा रहा है. सबसे पहले कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर यहां डेडिकेटेड अस्पताल बनाया गया. फिर ब्लैक फंगस के मरीज जब आने लगे तो राज्य सरकार ने इस अस्पताल को ब्लैक फंगस के मरीज के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था के साथ वार्ड शुरू करने का आदेश दिया गया. उसके बाद यहां ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज शुरू किया गया. अभी भी संस्थान में 157 मरीजों का इलाज चल रहा है.
'अब संस्थान में नॉन कोविड ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी शुरू किया गया है और यहां बाहर के आनेवाले मरीज को आंख ,नाक और कान के डॉक्टर देखते हैं. ऐसे मरीज जिनको हल्के लक्षण है उन्हें भर्त्ती नहीं किया जाता है और उन्हें दवा देकर घर मे ही रहने की सलाह दी जा रही है. हमारे पास डेडिकेटेड डॉक्टर की टीम है जो लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कर रहे हैं'.- मनीष मंडल, IGIMS संस्थान के अधीक्षक
क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) को ब्लैक फंगस के नाम से जानते हैं. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों में खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना से उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.