पटना: कोरोना की दूसरी लहर में जहां लोग तरह-तरह की आशंकाओं में घिरे हैं, वहीं पटना सिथत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. अनिल कुमार अपने 'डीलैम्प' के जरिए ऐसे लोगों को अंधकार से रोशनी दिखा रहे हैं.
पटना एम्स के टेलीमेडिसीन के को-ऑडिनेटर डॉ. अनिल ने बताया कि उनके पास प्रतिदिन कोरोना संक्रमण को लेकर कई फोन आते थे. उन्होंने कई वरिष्ठ चिकित्सकों, वैज्ञानिकों से बात कर और अध्ययन कर डी लैम्प की शुरूआत की. डॉ. अनिल का दावा है कि अब तक इस 'डीलैम्प' के जरिए बिना अस्पताल आए 6,000 से अधिक लोगों को कोरोना संक्रमण से मुक्त कर चुके हैं.
क्या है DLAMP फॉर्मूला?
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि कोरोना के दौर में जहां बेड और ऑक्सीजननहीं मिल रहा है चारों ओर अंधकार है, ऐसे में किसी संक्रमित को डीलैम्प के कांसेप्ट वाली दवा तुरंत शुरू कर देनी चाहिए.
''डीलैम्प यानी डी से डेक्सामेथाजोन, एल से लो मॉलिक्युलर वेट हेपैरिन के इंजेक्शन या अपिक्साबेन टेबलेट, ए से एजिथ्रेामाइसिन टैबलेट, एम से मॉन्टीलोकास्ट एवं लिवो सिटरीजीन तथा पी से पारासिटामोल है. इन दवाओं के प्रारंभ कर देने से कुछ ही दिनों में संक्रमणमुक्त हुआ जा सकता है.'' - डॉ. अनिल कुमार, को-ऑडिनेटर, एम्स के टेलीमेडिसीन
6 हजार कोविड पीड़ित बगैर अस्पताल आए ठीक हुए
डॉ. अनिल कहते हैं कि उन्होंने पटना एम्स में लोग होम क्वारंटीन में भी फोन कर अपना इलाज पा रहे हैं और संक्रमणमुक्त भी हो रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि अब तक 6,000 से अधिक लोग बिना अस्पताल आए फोन द्वारा बताए गए इस इलाज से संक्रमणमुक्त हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे तो कई राज्यों से उनके पास फोन आते हैं, लेकिन कोरोना को लेकर सबसे ज्यादा फोन बिहार के अलावा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और झारखंड से आ रहे हैं.
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डॉ. अनिल कहते हैं कि इस महामारी के दौर में संक्रमित हो या नहीं हो या आप संक्रमणमुक्त हो गए हो उनके लिए 'एम 3 पीएचसी' का पालन जरूर करना चाहिए. उन्होंने इसका विस्तृत रूप बताते हुए कहा कि आज हर किसी को कहना चाहिए, "मैं प्राइमरी हेल्थ केयर करूंगा."