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देश में पहली बार ट्रांसजेंडरों को बिहार दे रहा विशेष सम्मान: स्वतंत्रता दिवस पर करेंगी कार्यक्रम

आजादी के 73 साल बाद यह पहला मौका होगा, जब आजादी के जश्न में सरकारी तौर पर ट्रांसजेंडर अपना जलवा बिखेरती नजर आएगीं. इस कार्यक्रम में 26 प्रतिभागी रहेंगी. वहीं किन्नरों का कहना है कि हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

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Published : Aug 13, 2019, 9:04 PM IST

ट्रांसजेंडर करेंगी स्वतंत्रता दिवस पर कार्यक्रम

पटना: इस बार आजादी के जश्न में पहली बार राजधानी के गांधी मैदान में ट्रांसजेंडर अपना कार्यक्रम करने वाली हैं. इसकी अनुमति खुद बिहार सरकार ने उन्हें दी है. वहीं इसके बाद से ही किन्नर समाज के लोग बहुत खुश हैं और कुछ विशेष करने की तैयारी में जुट गए हैं.

ये हैं प्रतिभागी

किन्नर समाज खुशी का माहौल
राज्य में ही नहीं देश में भी पहली बार ऐसा होने जा रहा है, जहां ट्रांसजेंडर समाज इस बार स्वतंत्रता दिवस के मौके अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगी. दरअसल, आजादी के 73 साल बाद यह पहला मौका होगा, जब आजादी के जश्न में सरकारी तौर पर ट्रांसजेंडर अपना जलवा बिखेरती नजर आएंगी. राजधानी में हमेशा की तरह इस बार भी गांधी मैदान में स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम किया जा रहा है.

किन्नर समाज खुशी का माहौल

करेंगी समाज के कुरीतियों पर प्रहार

इस अवसर पर किन्नर समाज को भी मौका दिया गया है कि बाल विवाह, दहेज जैसे सामाजिक मुद्दों पर कुछ प्रस्तुत करके दिखाए. इस कार्यक्रम में 26 प्रतिभागी रहेंगी. वहीं किन्नरों का कहना है कि 73 सालों बाद जाकर हमें असली आजादी का एहसास हुआ है. हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

तैयारी करती हुई किन्नरें

ट्रांसजेंडर को मिला मौका लेंगी आजादी के जश्न में भाग

ट्रांसजेंडरों की मुखिया रेशमा ने कहा कि यह हम लोगों के लिए गौरव की बात है कि आजादी के जश्न में सरकारी तौर पर होने वाले कार्यक्रम में हम लोगों को यह पहला मौका मिला है. मैं सरकार को इसके लिए धन्यवाद देती हूं, लेकिन सरकार से कई मुद्दों को लेकर, आज भी हमारे आंदोलन चल रहे हैं. समाज में अपनी भूमिका निभाने के लिए और समाज में अपनी पहचान को लेकर हम लोग हमेशा आंदोलन करते रहेंगे हैं.

आजादी के 73 साल बाद किन्नरों को मिला मौका

कला का कोई लिंग नहीं होता

वहीं, ट्रांसजेंडर अनुप्रिया कहती हैं कि कथक को मैं प्रस्तुत करने वाली हूं. इससे यह संदेश देना चाहती हूं कि कला किसी लिंग का मोहताज नही होता. पुरुष, स्त्री या किन्नर हो सबके के अंदर कलाकार होता है. यह हम सबके लिए खुशी का पल है.

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