बिहार

bihar

ETV Bharat / state

हर साल बाढ़ की त्रासदी झेलने को मजबूर है बिहार, तटबंध भी नहीं बचा पाती तबाही - बाढ़ और बिहार

बिहार में हर साल तटबंधों की लंबाई बढ़ाई जा रही है. तमाम तरह के सुरक्षा उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन बाढ़ का तांडव खत्म नहीं हो रहा है. हर साल डेढ़ दर्जन से अधिक जिलों में बाढ़ आती है. हजारों करोड़ रुपए की क्षति होती है. हर साल बिहार में बाढ़ से निपटने के उपाय भी किए जाते हैं. सारी तैयारियों के बावजूद लोगों की परेशानी जस-की-तस बनी रहती है. पढ़ें रिपोर्ट...

बाढ़ और बिहार
बाढ़ और बिहार

By

Published : Jul 16, 2021, 4:46 PM IST

Updated : Jul 16, 2021, 6:54 PM IST

पटनाः बिहार में हर साल तटबंधों की लंबाई बढ़ाई जा रही है. अब तक बिहार की नदियों पर 3789 किलोमीटर से अधिक तटबंध बनाए गए हैं. इन तटबंधों के माध्यम से 39.968 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सुरक्षित किया गया है. लेकिन बिहार में बाढ़ (Bihar Flood) से अब भी काफी लोग प्रभावित हो रहे हैं. बता दें कि उत्तर बिहार (North Bihar) में बाढ़ का सबसे ज्यादा प्रकोप है. जबकि उत्तर बिहार में तटबंधों की लंबाई 3305 किलोमीटर है. दक्षिण बिहार (South Bihar) के तटबंध की लंबाई 450 किलोमीटर है. हालांकि इसके बावजूद लोगों की परेशानी कम नहीं हो रही है.

यह भी पढ़ें- मुजफ्फरपुर: सैलाब में गांव बने टापू, लोगों को नहीं मिल रही सरकारी मदद

बिहार में गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कोसी अधवारा, कमला बलान, घाघरा, पुनपुन, चंदन, महानंदा, गंगा, सोन, किऊल हरोहर में तटबंध बनाए गए हैं. बता दें कि गंडक नदी में 511.66 किलोमीटर, बूढ़ी गंडक में 779.26 किलोमीटर, बागमती में 488.14 किलोमीटर, कोसी अधवारा में 652.41 किलोमीटर, कमला बलान 204 किलोमीटर, घाघरा 132.90 किलोमीटर, पुनपुन में 37.62 किलोमीटर, चंदन में 83.18 किलोमीटर, महानंदा में 230.33 किलोमीटर, गंगा में 596.92 किलोमीटर, सोन में 59.54 किलोमीटर, किऊल हरोहर में 14 किलोमीटर तटबंध बनाए गए हैं.

एक दर्जन नदियों पर 3789.96 किलोमीटर तटबंध बनाए गए हैं. तटबंधों से 39 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रों को सुरक्षित किया गया है. नदियों पर बनाए गए तटबंध से क्षेत्रों को सुरक्षित तो कर दिया गया है लेकिन उसका खास फायदा बिहार को नहीं पहुंच रहा है.

ईटीवी भारत GFX

यह भी पढ़ें- भागलपुर: बाढ़ के भय से कटाव पीड़ित खुद तोड़ रहे अपना घर, अब तक नहीं मिली सरकारी मदद

जानकारी के अनुसार गंडक नदी से 6.24 लाख हेक्टेयर, बूढ़ी गंडक से 6.73 लाख हेक्टेयर, बागमती से 3.80 लाख हेक्टेयर, कोसी से 10.72 लाख हेक्टेयर, कमला से 6.08 लाख हेक्टेयर, घाघरा से 0.79 लाख हेक्टेयर, पुनपुन से 0.20 लाख हेक्टेयर, चंदन से 1.64 लाख हेक्टेयर, महानंदा से 1.05 लाख हेक्टेयर, गंगा से 2.44 लाख हेक्टेयर, सोन से 0.2 लाख हेक्टेयर, किऊल हरोहर से 0.06 लाख हेक्टेयर बाढ़ ग्रसित क्षेत्र को सुरक्षित किया गया है.

देखें रिपोर्ट

बिहार सरकार बाढ़ से बचाव के लिए हर साल करोड़ों की राशि खर्च कर रही है. फिर भी हर साल बाढ़ से तबाही हो रही है. पिछले 5 साल के दौरान सरकार की ओर से बाढ़ से बचाव के लिए 5597.38 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. वहीं 2021 में 12.51.62 करोड़ रुपए खर्च किए जाने का प्रावधान है. 2015 से लेकर 2020 तक हर साल करोड़ों में राशि खर्च की जा चुकी है.

ईटीवी भारत GFX

यह भी पढ़ें- VIDEO: मुसीबत में फंसे बचानेवाले, बाढ़ में डूबा मुजफ्फरपुर का SDRF कैम्प

वर्ष 2015 में 436.47 करोड़ रुपए खर्च किए गए. 2016 में 330.53 करोड़ रुपए, 2017 में 1231.63 करोड़ रुपए, 2018 में 1560.81 करोड़ रुपए, 2019 में 976.94 करोड़ रुपए, 2020 में 1061 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. 2021 में 1251.62 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान है.

बिहार के कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 68.80 लाख हेक्टेयर हैं. उसमें उत्तर बिहार में 44.46 लाख हेक्टेयर, जबकि दक्षिण बिहार में 24.34 लाख हेक्टेयर बाढ़ प्रभावित क्षेत्र हैं. 2020 तक बिहार में 39.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सुरक्षित किया गया था, जिसमें उत्तर बिहार के सुरक्षित क्षेत्र 37.99 लाख हेक्टेयर हैं. जबकि दक्षिण बिहार के सुरक्षित क्षेत्र 0.2 लाख हेक्टेयर हैं.

यह भी पढ़ें- बाढ़ ने बेहाल की जिंदगी: सैलाब आया तो खाट-पेटी लेकर गांव से पलायन कर रहे लोग

उत्तर बिहार पर सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान है. क्योंकि नेपाल से आने वाली नदियों के कारण काफी तबाही मचती है. इसलिए कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक सहित अन्य उत्तर बिहार की नदियों पर तटबंध बनाए गए हैं. लेकिन लोगों की मुश्किलें कम नहीं हो रही है.

बिहार में बाढ़ से हर साल हजारों करोड़ का नुकसान होता है. राज्य सरकार हर साल बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार से मांग भी करती है. 2007 में बिहार सरकार ने नुकसान की भरपाई के लिए 17 हजार करोड़ से अधिक, 2008 में कुसहा तटबंध टूटने पर बिहार सरकार ने 14 हजार 800 करोड़ रुपए की मांग की थी. 2016 में बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 4 हजार से अधिक की मांग की गई थी. बिहार सरकार ने 2017 में 7 हजार 600 करोड़ से अधिक और 2019 में 4 हजार 400 करोड़ से अधिक की मांग केंद्र से की थी.

यह भी पढ़ें- बाढ़ की बर्बादी से नहीं उबर पा रहे लोग, पानी सूखने के बाद भी प्रशासन ने नहीं लिया क्षतिपूर्ति का जायजा

Last Updated : Jul 16, 2021, 6:54 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details