TOP 10 @9 PM: जानें बिहार की अब तक की बड़ी खबरें - top ten of bihar
विधानमंडल में बजट सत्र के दौरान दोनों सदनों में गहमागहमी के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. विधान परिषद में कभी नीतीश कुमार सभापति बनकर नसीहत देते दिख रहे हैं, तो विधानसभा सदन के अंदर सरकार के मंत्री अध्यक्ष पर ही सवाल उठा रहे हैं. इन सभी के बीच विपक्ष ने कहा कि सवालों से घिरने की वजह से सत्ता पक्ष आसन को घेरने की कोशिश कर रहा है.
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ये रही बिहार की 10 बड़ी खबरेंः
- सदन में नियम बनाने वालों ने ही ताक पर रखे नियम, सवालों के घेरे में माननीयों का बर्ताव
विधानमंडल में बजट सत्र के दौरान दोनों सदनों में गहमागहमी के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. विधान परिषद में कभी नीतीश कुमार सभापति बनकर नसीहत देते दिख रहे हैं, तो विधानसभा सदन के अंदर सरकार के मंत्री अध्यक्ष पर ही सवाल उठा रहे हैं. इन सभी के बीच विपक्ष ने कहा कि सवालों से घिरने की वजह से सत्ता पक्ष आसन को घेरने की कोशिश कर रहा है. - बिहार के मंत्रियों के बंगले की कहानी, किसी के लिए लकी तो किसी के लिए रहा अनलकी
पटना में मंत्रियों के रहने के लिए बने बंगलों की अपनी कहानी है. कुछ बंगले नेताओं को इतने पसंद हैं कि इसके लिए खींचतान की नौबत आ जाती है. मामला कोर्ट तक चला जाता है. वहीं, कुछ बंगले मंत्रियों के लिए इस कदर अनलकी साबित हुए कि मंत्री चुनाव हार गए. एक मंत्री को तो जेल की हवा खानी पड़ी. - श्रीकृष्ण सिंह को भारत रत्न देने की मांग पर विपक्ष ने कहा- खानापूर्ति के लिए बिहार सरकार करती है सिर्फ अनुशंसा
बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण बाबू को भारत रत्न मिले इसकी अनुशंसा बिहार सरकार केंद्र सरकार को करने वाली है. इस बात की जानकारी शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने विधान परिषद में दी. जिसके बाद सत्ता पक्ष के नेता गदगद हैं. वहीं, विपक्ष सरकार के इस अनुशंसा पर सवाल खड़ा कर रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि इससे पहले भी बिहार सरकार कई सपूतों को भारत रत्न देने के लिए अनुशंसा कर चुकी है, लेकिन अब तक उन्हें भारत रत्न नहीं मिला - अपनों का 'सितम' झेल रहे हैं बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा! लग रहे ये आरोप
दरअसल, बिहार विधानसभा में पहली बार ऐसी घटना देखने को मिली जब विधानसभा अध्यक्ष ही रूठ गए. मंत्री के माफी मांगने पर ही सदन में आने की बात पर अड़े रहे. मुख्यमंत्री ने भी उन्हें मनाया लेकिन वे नहीं माने. आखिर ऐसा क्या हुआ पढ़ें पूरी खबर.. - नवल किशोर यादव को बनाया गया विधान परिषद का उपनेता, कैबिनेट मंत्री का मिलता है दर्जा
भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद नवल किशोर यादव को पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी दी है. नवल किशोर यादव को विधान परिषद में उपनेता बनाया गया है. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी विधान परिषद में पहले उपनेता हुआ करते थे और सुशील मोदी के बाद उपनेता की जगह खाली थी. - बिहार पुलिस की परीक्षा देकर लौट रही छात्रा की रेप के बाद हत्या, तीन दिन बाद मिला शव
बगहा में नहर से एक युवती का शव बरामद हुआ है. वह 3 दिन पहले पुलिस भर्ती की परीक्षा देने बेतिया गई थी. उसके बाद लौटकर घर नहीं आई. गुरुवार सुबह शव मिलने की सूचना मिलते ही घर में कोहराम मच गया. परिजनों ने एक ऑटो चालक पर दुष्कर्म के बाद हत्या का आरोप लगाया है. - मंत्री के फरियाने की चुनौती पर बोले तेज प्रताप- गुंडागर्दी कर रहे हैं रामसूरत राय, सदन के बाहर नहीं चलेगा
तेज प्रताप ने कहा कि रामसूरत राय गुंडे हैं और गुंडागर्दी कर रहे हैं. बिहार की जनता सब देख रही है. जिस तरह का व्यवहार वो कर रहे हैं वो सदन तक ही चलेगा, बाहर ऐसा व्यवहार करेंगे तो जनता उन्हें सबक सिखाएगी. - अमर्यादित बर्ताव के कारण ही जनता ने RJD को हाशिये पर रखा: BJP
बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा ने राजद विधायक तेजप्रताप यादव पर जुबानी हमला करते हुए कहा कि अमर्यादित बयान के कारण ही राजद को जनता ने हाशिये पर रखा है, जनता जान रही है कि किस दल के लोग किस तरह का व्यवहार करते हैं. - UGC के मानकों पर फिर पिछड़ा पटना विश्वविद्यालय, कई कॉलेजों की मान्यता पर मंडरा रहा खतरा
देश के सबसे पुराने कॉलेजों में से एक पटना विश्वविद्यालय के पटना कॉलेज की मान्यता पर खतरा मंडरा रहा है. यूजीसी के नए निर्देशों से सिर्फ पटना कॉलेज ही नहीं बल्कि पटना विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों की मान्यता खतरे में है. हालांकि यूजीसी ने सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को अपना स्तर सुधारने के लिए 2022 तक का वक्त दिया है. - पटना विश्वविद्यालय में शोध की गुणवत्ता क्यों हो रही खराब, क्या है इसकी वजह?
90 के दशक के बाद पटना विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी हो गई और नई नियुक्ति नहीं हुई. पुराने शिक्षक रिटायर होते चले गए. ऐसे में यहां शिक्षा का स्तर गिरा और शोध का भी स्तर गिरता चला गया. इसके साथ ही शोध के लिए संसाधन की भी कमी हो गई. इस कारण विश्वविद्यालय में शोध अपने न्यूनतम स्तर पर चला गया. इसके साथ ही शिक्षकों को उचित प्रोत्साहन भी नहीं मिला.