पटना:नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे- 5 (National Family Health Survey-5) की हालिया रिपोर्ट को देखें तो बिहार में फर्टिलिटी रेट (Top Position Of Bihar In Fertility Rate ) देशभर में सर्वाधिक है. हालांकि पिछले 5 वर्षों में यह 3.30 से घटकर 2.98 पर आई है लेकिन देश के नेशनल फर्टिलिटी रेट (National Fertility Rate) 2.17 से यह अब भी काफी अधिक है. प्रदेश में सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि आगामी 10 वर्षों में फर्टिलिटी रेट एक प्रतिशत कम करने पर सरकार काम कर रही है.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे:राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस -5) की एक नवीनतम रिपोर्ट में पाया गया है कि परिवार नियोजन के लिए महिलाओं के बीच गर्भनिरोधक विधियों का उपयोग मेघालय में सबसे कम है. इसके बाद मिजोरम और बिहार का स्थान है. राज्यों में गर्भनिरोधक विधि का उपयोग मेघालय में 27 प्रतिशत, मिजोरम में 31 प्रतिशत और बिहार 56 प्रतिशत में सबसे कम है. जबकि ओडिशा और हिमाचल प्रदेश में यह 74 प्रतिशत है. राज्यों में, वर्तमान में विवाहित महिलाएं उत्तर पूर्व क्षेत्र के सभी छोटे राज्यों में गर्भनिरोधक विधियों का उपयोग कर रही हैं. हालांकि, सिक्किम और त्रिपुरा में यह अनुपात अपेक्षाकृत कम है. रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में गर्भनिरोधक विधियों का उपयोग लद्दाख में सबसे कम 51 फीसदी और चंडीगढ़ में सबसे ज्यादा 77 फीसदी है.
चलाया जा रहा जागरुकता कार्यक्रम:परिवार नियोजन को लेकर सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में महीने के प्रत्येक 21 तारीख को परिवार नियोजन का जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसमें नव दंपतियों को दो बच्चे के बीच 3 साल का अंतर रखने के लिए समझाया जाता है. इसके साथ ही कंडोम के इस्तेमाल और प्रेग्नेंसी रोकने वाली एंटीसेप्टिक पिल्स इस्तेमाल के बारे में भी जानकारी दी जाती है. यह नव दंपतियों को निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है, पुरुषों के बीच कैंप लगाकर कंडोम बांटे जाते हैं. वहीं महिलाओं को छाया और माला एम का टेबलेट गर्भ रोकने के लिए दिया जाता है.
परिवार नियोजन को लेकर महिलाएं जागरूक: इसके अलावा अंतरा इंजेक्शन के बारे में भी महिलाओं को बताया जाता है कि किस प्रकार इंजेक्शन के इस्तेमाल से 3 महीने के लिए अनचाहे प्रेग्नेंसी के खतरे से बच सकती हैं. सरकार की तरफ से भले ही कोशिशें हो रही है लेकिन परिवार नियोजन कि जो रिपोर्ट सामने आ रहे हैं उसकी मानें तो परिवार नियोजन के उपायों में पुरुष काफी पीछे हैं और महिलाएं अधिक सक्रिय हैं. अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए पुरुषों द्वारा कंडोम का कम इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं महिलाएं एंटीसेप्टिक पिल्स का अधिक इस्तेमाल कर रही हैं, जिस वजह से महिलाओं में कई प्रकार के साइड इफेक्ट भी सामने आ रहे हैं.
डॉक्टर ने दिया ये सुझाव:पटना के मेदांता सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के ब्रेस्ट ऑकोलॉजिस्ट डॉक्टर निहारिका रॉय ने बताया कि बिहार में फर्टिलिटी रेट नेशनल फर्टिलिटी रेट से काफी अधिक है. ऐसे में अगर प्रदेश की विकास की बात करें तो जरूरी है कि सबसे पहले फर्टिलिटी रेट को कंट्रोल करें. फर्टिलिटी रेट अधिक होगी तो पर कैपिटा इनकम कम ही होगा. फर्टिलिटी रेट कम करने के लिए गर्भनिरोध के लिए पुरुषों और महिलाओं के लिए जो उपाय हैं, वह किया जाए.
"महिलाओं की शादी 21 वर्ष की उम्र के बाद हो. दो बच्चों के बीच में कम से कम 3 साल का गैप हो और सरकार इसको लेकर प्रचार प्रसार अधिक करें. छोटा परिवार सुखी परिवार और छोटा परिवार सुखी परिवार कैसे होता है, बड़े परिवार के क्या नुकसान हैं और परिवार नियोजन क्यों जरूरी है, इन सब पर छोटी अवधि के फिल्म बनाकर लोगों के बीच दिखाया जाए. मीडिया का भी फर्टिलिटी रेट को कम कराने में बड़ा योगदान रहने वाला है और मीडिया को इसके लिए लोगों को भी जागरूक करना होगा."- निहारिका रॉय, डॉक्टर, मेदांता सुपर स्पेशलिटी अस्पताल