पटना: त्रेता युग से शुरू हुए अक्षय तृतीया का महापर्व आज है. अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का भी जन्म हुआ था. आज राशियों के अनुसार खरीदारी करने में अति शुभ योग बन रहा है. बता दें कि अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य, शादी-विवाह, बहू का प्रथम बार चौका छूना, मुंडन, छेदन और व्यापार का प्रारंभ सारे शुभ कार्य किए जाते हैं.
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त्योहार के पीछे की कहानी
वैशाख में शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है. इसके पीछे की कहानी कुछ यूं है कि एक बार लक्ष्मी जी ने विष्णु जी से कहा कि समस्त शुभ कार्य किसी न किसी मुहूर्त में होते हैं. मान लीजिए किसी से भूलवश मुहूर्त के दिन शुभ कार्य ना हो पाए तो. प्रभु इसके लिए कुछ तो होना चाहिए. इसके बाद विष्णु जी ने अपने अवतार दिवस यानी परशुराम जयंती पर अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त की संज्ञा दे दी. नाम के अनुरूप अक्षय तृतीया पर धन का क्षय नहीं होता. इस दिन स्वर्ण-रजत खरीदने की परंपरा है.
अन्नपूर्णा का पूजन
इस दिन मां अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी मनाया जाता है. मां अन्नपूर्णा के पूजन से किचन तथा भोजन स्वाद बढ़ जाता है. इसलिए, चावल और गेहूं अवश्य खरीदना चाहिए. रसोई से जुड़ा कोई भी आइटम खरीदना शुभ माना गया है. आज बिना किसी पंचांग के विवाह कार्य किया जा सकता है.
पूजा का मिलता है अक्षय फल
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य अविनाश शास्त्री ने बताया कि वैशाख महीने की शुक्लपक्ष की तीसरी तिथि को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाताा है. इस दिन किए गए दान और पूजा का अक्षय फल मिलता है. अक्षय अर्थात कभी क्षय नहीं होने वाला पूजा से जो फल मिलता है, वह कभी कम नहीं होगा. उन्होंने कहा कि इस दिन कोई भी शुभ काम बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है. इसलिए अक्षय तृतीया पर शादियां, खरीदारी और नए कामों की शुरुआत की जाती है. लेकिन इस बार कोरोना का संक्रमण काल है. इसलिए मांगलिक कार्य और सामूहिक कार्य अगले साल के लिए टाल देना चाहिए.
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