देहरादून: इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) के 88 साल के गौरवपूर्ण इतिहास में आज एक नया अध्याय जुड़ा. कोरोना संकट के बीच आईएमए के इतिहास में कई परंपराओं को तोड़ा गया, जबकि कुछ नई परंपराओं को अपनाया गया. पहली बार हुआ है, जब आईएमए की पासिंग आउट परेड सिर्फ रस्म अदायगी तक सीमित रही. पासिंग आउट परेड में कैडेट्स के परिजनों को निमंत्रण नहीं दिया गया. आज आईएमए की पासिंग आउट परेड में 423 जेंटलमैन कैडेट्स शामिल हुए. इसमें 333 भारतीय कैडेट्स और 90 विदेशी कैडेट्स शामिल थे.
आज इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पास होकर 333 जांबाज भारतीय सेना में अधिकारी बन गए. पासिंग आउट परेड में बड़ी संख्या में देश-विदेश के युवा कैडेट पास आउट होते हैं और न केवल कैडेट्स के परिवार के लोग बल्कि देश विदेश से कई गणमान्य लोग इस परेड में शिरकत करते हैं. लेकिन कोरोना संकट के कारण पहली बार पीओपी के तहत होने वाली विभिन्न गतिविधियों को सीमित कर दिया गया. आज हुई पासिंग आउट परेड के दौरान दर्शक दीर्घा पूरी तरह से खाली रही. हालांकि, लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए परिजनों ने अपने बच्चों की परेड घर बैठे देखा.
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कौन-कौन सी परंपरा टूटी1- आईएमए की कठिन ट्रेनिंग के बाद पास आउट कैडेट्स के लिए सबसे भावुक करने वाला पल तब होता है, जब उनके परिजन उनकी वर्दी पर रैंक लगाते हैं, लेकिन इस बार पहली दफा पीपिंग सेरेमनी के दौरान ऑफिसर्स ने जेंटलमैन कैडेट्स की वर्दी पर रैंक लगाया और उनके परिवार की भूमिका अदा करते दिखाई दिए.
2- इस बार जेंटलमैन कैडेट्स चैटवुड बिल्डिंग से अंतिम पग निकालते हुए अपने करियर के प्रथम 'पग' पर आगे बढ़े. दरअसल अंतिम पग के साथ ही पासआउट अधिकारियों को उनके रेजिमेंट में तैनाती दे दी गई.