Chhath Puja 2022: छठ व्रतियों ने दिया अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य, कल उगते सूर्य को अर्घ्य देकर होगा समापन - patna latest news
बिहार समेत देश के कई हिस्सों में छठ महापर्व (Chhath Puja) धूमधाम से मनाया जा रहा है. चार दिनों तक चलने वाली इस छठ पूजा (Chhath Puja 2022 In Bihar) का आज तीसरा दिन है. आज अस्ताचलगामी सूर्य को 'पहला अर्घ्य' दिया गया है.
लोक आस्था के महापर्व छठ
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Published : Oct 30, 2022, 3:25 PM IST
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Updated : Oct 30, 2022, 6:27 PM IST
पटना:लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर बिहार समेत उत्तर भारत और देश के कई हिस्सों सहित विदेशों में भी उत्साह का (Time Table Of Surya Arghya of Chhath Puja In Bihar) माहौल है. महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है. आज अस्ताचलगामी सूर्य को 'पहला अर्घ्य' (First Arghya Of Chhath Puja) दिया गया है. छठ महापर्व (Chhath Puja 2022) में संध्याकालीन अर्घ्य की विशेष महत्ता है. चार दिवसीय छठ महापर्व में आज व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद 31 अक्टूबर को यानी कल उगते हुए सूरज को अर्घ्य देंगे. उसके बाद छठ महापर्व का समापन हो जाएगा.
सीएम हाउस में सीएम नीतीश ने भी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के परिवार के सदस्य छठ पूजा का महापर्व मना रहे हैं. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे. सीएम ने सभी अतिथियों को खुद ही निमंत्रित किया था. सीएम की भाभी और बहन छठ की पूजा कर रही हैं.
मौसम विभाग के अनुसार बिहार के प्रमुख शहरों का सूर्यास्त और सूर्योदय का समय कुछ इस प्रकार से रहेगा--
शहर
सूर्यास्त (30 अक्टूबर)
सूर्योदय(31 अक्टूबर)
पटना
5:10
5 :57
भागलपुर
5:03
5:49
पूर्णिया
5:00
5:48
मुजफ्फरपुर
5:08
5:57
दरभंगा
5:06
5:55
गया
5:11
5:56
मधुबनी
5:05
5:54
नालंदा
5:09
5:55
औरंगाबाद
5:14
5:59
भोजपुर
5:11
5:59
पश्चिम चंपारण
5:11
6:01
किशनगंज
4:58
5:46
समस्तीपुर
5:07
5:55
गोपालगंज
5:12
6:01
मुंगेर
5:05
5:51
सिवान
5:12
6:01
कटिहार
5:00
5:47
वैशाली
5:09
5:56
छठ पूजा से यश, धन, वैभव की प्राप्तिः मान्यता के अनुसार संध्या अर्घ्य देने और सूर्य की पूजा अर्चना करने से जीवन में तेज बना रहता है और यश, धन, वैभव की प्राप्ति होती है. शाम को अस्ताचलगामी सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जाता है, इसलिए इसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है. इसके पश्चात विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. संध्या को अर्घ्य देने के लिए छठ व्रती पूरे परिवार के साथ घाटों की ओर रवाना होते हैं. इस दौरान पूरे रास्ते व्रती दंडवत करते जाते हैं. सूर्य देव को अर्घ्य देने से पहले रास्ते भर उन्हें जमीन पर लेटकर व्रती प्रणाम करते हैं. दंडवत करने के दौरान आस-पास मौजूद लोग छठव्रती को स्पर्श कर प्रणाम करते हैं, ताकि उन्हें भी पूण्य की प्राप्ति हो सके.
इस तरह देते हैं भागवान भास्कर को अर्घ्यः अर्घ्य देने के लिए शाम के समय सूप और बांस की टोकरियों में ठेकुआ, चावल के लड्डू और फल ले जाया जाता है. पूजा के सूप को व्रती बेहतर से बेहतर तरीके से सजाते हैं. कलश में जल एवं दूध भरकर इसी से सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य दिया जाता है. इसके साथ ही सूप की सामग्री के साथ भक्त छठी मईया की भी पूजा अर्चना करते हैं. छठ व्रती पूरे परिवार के साथ छठ घाट पर दउरा में प्रसाद लेकर पहुंचते हैं और डूबते सूर्य की उपासना के लिए जल एवं दूध लेकर तालाब, नदी या पोखर में खड़े हो जाते हैं. अस्ताचलगामी सूर्य पूजन के बाद सभी लोग घर लौट आते हैं. वहीं, रात में छठी माई के भजन गाये जाते हैं और व्रत कथा का श्रवण किया जाता है. साथ ही चौथे दिन सुबह में उगते सुर्य को अर्घ्य देने की तैयारी भी की जाती है.
क्या है छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा? एक पौराणिक कथा के मुताबिक, प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों के कोई संतान नहीं थी. इस वजह से दोनों दुःखी रहते थे. एक दिन महर्षि कश्यप ने राजा प्रियव्रत से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा. महर्षि की आज्ञा मानते हुए राजा ने यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत पैदा हुआ. इस बात से राजा और दुखी हो गए. उसी दौरान आसमान से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं. राजा के प्रार्थना करने पर उन्होंने अपना परिचय दिया. उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं. मैं संसार के सभी लोगों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं. तभी देवी ने मृत शिशु को आशीर्वाद देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह पुन: जीवित हो गया. देवी की इस कृपा से राजा बेहद खुश हुए और षष्ठी देवी की आराधना की. इसके बाद से ही इस पूजा का प्रसार हो गया.