पटना: इस बार राज्य सरकार रिकॉर्ड तोड़ धान की खरीद कर चुकी है. 45 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य में 35 लाख 60 हजार मीट्रिक टन धान की खरीद की गई. यह लक्ष्य का 84% है. पिछली बार 2006 में सबसे ज्यादा 26 लाख मीट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति की गई थी. कोरोना महामारी के बाद रिकॉर्ड तोड़ धान की खरीद होने से सरकार अपना पीठ थपथपाते नहीं थक रही है. इसकी चर्चा बजट सत्र के दौरान सदन में मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री तक ने भी किया है. रिकॉर्ड तोड़ धान अधिप्राप्ति के बाद अब राज्य सरकार के लिए इसका भंडारण बड़ी चुनौती बन गया है.
ये भी पढ़ें- SDO की हनक! होमगार्ड के हाथ 'साहब' का अत्याधुनिक हथियार, सवाल पूछने पर कहा- बंद करो कैमरा
भंडारण के लिए पर्याप्त गोदाम नहीं
दरअसल, धान की खरीद तो हो गई है लेकिन सभी का भंडारण करने के लिए पर्याप्त गोदाम की उपलब्धता बिहार में नहीं है. इस मामले पर खाद आपूर्ति विभाग एवं राज्य खाद्य निगम की जिम्मेवारी संभाल रहे सचिव विनय कुमार ने बताया कि वर्तमान में राज्य में अनाज भंडारण के लिए तकरीबन 27 लाख मीट्रिक टन की क्षमता वाले गोदाम उपलब्ध हैं. इसमें पैक्स और व्यापार मंडलों के माध्यम से 12 लाख मीट्रिक टन तक का भंडारण किया जा रहा है.
185 करोड़ के प्रावधान की स्वीकृति
स्टेट फूड कॉरपोरेशन के गोदामों में 8 लाख मीट्रिक टन और जन वितरण प्रणाली में बांटने वाले अनाजों के भंडारण के लिए 7 लाख मीट्रिक टन तक क्षमता वाले गोदाम उपलब्ध हैं. विनय कुमार ने बताया कि वर्तमान बजट में सरकार ने राज्य खाद्य निगम के लिए 185 करोड़ के प्रावधान को स्वीकृति दी है. इस राशि का इस्तेमाल निगम के आधारभूत संरचनाओं को मजबूत करने के लिए किया जाएगा. जिसमें अनाज भंडारण के लिए गोदाम निर्माण पहली प्राथमिकता होगी.
बिहार राज्य खाद्य निगम के मैनेजिंग डायरेक्टर विनय कुमार ये भी पढ़ें- '2 हजार रुपये कमाने वाला आज 2 लाख रुपये कमा रहा है, महंगाई तो बढ़ेगी ना'
दो से तीन वर्षों तक रहेगी कठिनाईयां
हालांकि बिहार राज्य खाद्य निगम के मैनेजिंग डायरेक्टर विनय कुमार मानते हैं कि अभी भी अनाज भंडारण को लेकर राज्य में आगामी 2 से 3 वर्षों तक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि पैक्स, व्यापार मंडल और एसएसएफसी के अलावा कई प्राइवेट गोदाम भी किराए पर लिए जा रहे हैं. इसके अलावा धान का भंडारण ओपन स्पेस में भी किया जाता है. राज्य खाद्य निगम द्वारा जन वितरण प्रणाली से बांटे जाने वाले अनाजों के भंडारण के लिए हर जिले में गोदाम उपलब्ध हैं.