पटना: पीएमसीएच प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल है. मगर पीएमसीएच में ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए अब तक सर्जरी की सुविधा नहीं शुरू हुई है. ब्लैक फंगस के मरीजों का सिर्फ मेडिसिन से इलाज चल रहा है. सर्जरी शुरू ना होने के पीछे प्रमुख वजह यह है कि सर्जरी के लिए जिस मशीन की जरूरत होती है, वह मशीन पीएमसीएच के पास नहीं है. इससे कई मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
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संक्रमितों का आंकड़ा हुआ 332
प्रदेश में ब्लैक फंगस का मामला काफी बढ़ गया है. संक्रमितों का आंकड़ा 332 हो गया है. पटना के आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के सर्वाधिक मरीज एडमिट हैं. यहां मरीजों की संख्या 108 है. जबकि पटना एम्स में 85 मरीज ब्लैक फंगस के वार्ड में एडमिट हैं. जहां उनका इलाज चल रहा है. एनएमसीएच में 3 मरीज एडमिट हैं. जबकि पीएमसीएच में ब्लैक फंगस के 20 मरीज का इलाज चल रहा है. पीएमसीएच के ब्लैक फंगस के वार्ड में एडमिट सभी मरीजों के नाक और आंख में फंगस का असर देखने को मिल रहा है. यही हाल पटना के सभी अस्पतालों का है.
बुखार के बाद हुआ डिटेक्ट
ब्लैक फंगस के वार्ड में बेड नंबर 41 पर एडमिट मरीज के परिजन गौतम कुमार ने बताया कि वह बेगूसराय से हैं. उनकी माता जी को कुछ दिनों पहले बुखार हुआ था. दवा पर ठीक हो गया था, कोरोना का कोई जांच नहीं कराया था. मगर बाद में ब्लैक फंगस की शिकायत हुई. जिसके बाद जांच कराने पर ब्लैक फंगस डिटेक्ट किया गया.
अस्पताल प्रबंधन ने दी जानकारी
परिजन ने बताया कि मरीज के मुंह, नाक, आंख सभी जगह दिक्कत है. उन्हें लगता है कि सर्जरी के बाद ही नाक और आंख का प्रॉब्लम ठीक होगा. उन्होंने बताया कि वह अस्पताल में सर्जरी को लेकर कई बार बात भी किए हैं, मगर उन्हें जानकारी दी गई है कि अभी सर्जरी शुरू नहीं हुआ है. जल्द ही सर्जरी शुरू होगी, तब सर्जरी की जाएगी. उन्होंने बताया कि वह 5 दिनों से अस्पताल में एडमिट है और मरीज में कोई विशेष सुधार नजर नहीं आ रहा है. लाइपोजोमल एंफोटेरेसिन बी का डोज एक बार दिन भर में दिया जाता है.
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दी जा रही है दवाई
वैशाली जिले से अपने पिताजी का इलाज कराने पहुंचे संतोष कुमार ने बताया कि उनके पिता को ब्लैक फंगस डिटेक्ट हुआ है. वे पीएमसीएच के ईएनटी वार्ड में बने ब्लैक फंगस के वार्ड में एडमिट हैं. संतोष ने बताया कि उनके पिता को नाक, आंख और सर में दर्द रहता था. यहां अस्पताल में दवाई दी जा रही है. दर्द में आराम है. मगर जो सर्जरी होनी है, वह नहीं हो पा रही है. क्योंकि यहां सर्जरी के लिए मशीन ही उपलब्ध नहीं है.
'अभी के समय में ब्लैक फंगस के वार्ड में 20 मरीज का इलाज चल रहा है. एक मरीज जो रविवार देर रात गंभीर हालत में वार्ड में एडमिट हुए थे. उसकी ब्लैक फंगस के वजह से मौत हो गई है. मरीज की पहचान मधुबनी जिला निवासी रामकिशोर राय के तौर पर हुई है. उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस के मरीजों को लाइपोजोमल एंफोटेरेसिन बी का इंजेक्शन कम से कम 2 सप्ताह का दिया जाता है. दिन भर में एक बार ही यह इंजेक्शन दिया जाता है. जिसमें एंफोटेरेसिन बी का 6 वायल रहता है. यह एंटीफंगल इंजेक्शन है इसके अलावे ओरल एंटीफंगल ड्रग्स भी दिए जाते हैं. जो हैं Posaconazole / Isavuconazole. उन्होंने बताया कि अगर कोई मरीज ब्लैक फंगस से गंभीर रूप से संक्रमित होता है और उसके नाक और आंख में गंभीर जख्म हो जाते हैं तो उसे ठीक होने में 6 महीना तक का समय लग सकता है. ब्लैक फंगस का इलाज लंबा चलता है. मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज करने के बाद भी कई महीनों दवाई का सेवन करना पड़ता है.'-डॉ. शाहीन जफर, सीनियर रेजिडेंट
जल्द शुरू होगी सर्जरी
डॉ. शाहीन जफर ने बताया कि अस्पताल में अभी के समय में 3 से 4 ऐसे मरीज भी हैं, जिन्होंने प्राइवेट में फंगस की सर्जरी कराई है. एंफोटेरेसिन बी इंजेक्शन के लिए पीएमसीएच में एडमिट हैं. क्योंकि यहां यह इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. जो कि बाहर में उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. डॉक्टर शाहीन जफर ने बताया कि अस्पताल में अभी ब्लैक फंगस के मरीजों की सर्जरी शुरू नहीं हुई है. इसके लिए जो मशीन और उपकरण चाहिए उसे उपलब्ध कराने के लिए अस्पताल प्रबंधन लगा हुआ है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इसी सप्ताह अस्पताल के ब्लैक फंगस वार्ड में सर्जरी भी शुरू हो जाएगी. ताकि जिन मरीजों को सर्जरी की जरूरत है और अभी दवा पर स्टेबल रखा गया है. उनकी सर्जरी भी हो पाएगी.
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