पटना: बिहार में नीतीश कुमार पिछले 15 सालों से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाले हुए हैं. बीच में एनडीए छोड़कर महागठबंधन के साथ चुनाव जरूर लड़े. लेकिन लगातार मुख्यमंत्री की कुर्सी उन्हीं के पास रही. इस दौरान उन्होंने कुछ समय के लिए जरूर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया था. लेकिन चाबी अपने पास रखी.
कोई भी 15 सालों से लगातार मुख्यमंत्री रहे, तो एंटी इनकंबेंसी फैक्टर काम करने लगता है. लेकिन बिहार में नीतीश कुमार के मुकाबले मजबूत चेहरा नहीं होने के कारण बहुत ज्यादा नुकसान नीतीश कुमार को नहीं हो रहा है. नीतीश आने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार हैं.
पटना से अविनाश की रिपोर्ट जदयू का दावा नीतीश आज भी सबसे अधिक लोकप्रिय
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2005 में बीजेपी के साथ चुनाव लड़े और सरकार बनाई. 2010 में भी बीजेपी के साथ चुनाव में गए और प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनायी. हालांकि, बीच में ही बीजेपी के साथ अनबन होने के कारण बीजेपी से अलग हो गए. लेकिन सरकार उनके नेतृत्व में चलती रही. 2015 में फिर से एक बार नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया. इस बार महागठबंधन के साथ चुनाव में गए, जिसमें आरजेडी और कांग्रेस शामिल रहीं और फिर बहुमत के साथ सरकार बनी.
जय कुमार सिंह, मंत्री, बिहार कैबिनेट इसके बाद नीतीश कुमार एक बार फिर महागठबंधन छोड़ बीच में ही एनडीए में आ गए और अभी तक सीएम पद पर हैं. बिहार चुनाव 2020 होने को हैं. ऐसे में नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही एनडीए चुनावी मैदान में होगी. 15 सालों का सफर किसी भी मुख्यमंत्री के लिए एंटी इनकंबेंसी फैक्टर पैदा करता है. लेकिन सत्ताधारी दल जदयू और बीजेपी नेताओं का दावा है बिहार में नीतीश सरकार में इतने काम हुए हैं कि जनता अभी भी नीतीश कुमार को ही चाहती है.
बीजेपी प्रवक्ता अफजर शमशी आरजेडी का दावा
ऐसे तो आरजेडी नेताओं का दावा रहा है कि इस बार जनता मन बना चुकी है कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना है. आरजेडी का कहना है कि इस बार नीतीश कुमार को जाना है. आरजेडी में शामिल हुए श्याम रजक का तो यहां तक कहना है कि युवकों के साथ दलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा और अल्पसंख्यक में काफी आक्रोश है.
विपक्ष में नहीं कोई मजबूत चेहरा- विशेषज्ञ
आर्थिक और राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर डीएम दिवाकर कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार को जनता खूब पसंद कर रही है. विपक्ष में दमदार चेहरा नहीं होने के कारण उनको लाभ मिल रहा है.
तो क्या, लालू थे दमदार चेहरा?
नीतीश कुमार बिहार में उस समय एनडीए की कमान संभाली थी, जब लालू प्रसाद यादव का सिक्का चल रहा था. लेकिन 2005 में सत्ता में आने के बाद बिहार में विकास का जो कार्य किया लोग नीतिश कुमार को विकास पुरुष कहने लगे. सड़क, बिजली, कानून व्यवस्था पर जिस प्रकार से नीतीश कुमार ने काम किया, उससे वो लोगों में लोकप्रिय होते गए. 2010 में उसका असर भी दिखा और वे प्रचंड बहुमत से जीत गये. नीतीश कुमार ने 1 दर्जन से अधिक यात्राएं भी की हैं.
लोगों के बीच जाकर उनसे फीडबैक लेकर कई बड़े फैसले लिए और कई योजना शुरू हुई की. साइकिल योजना, पंचायतों में आरक्षण महिलाओं के लिए रिजर्वेशन अल्पसंख्यकों के लिए कई योजनाएं उन्होंने लांच की. एक समय तो उन्हें मौलाना नीतीश भी कहा जाने लगा. फिर सात निश्चय और अब जल जीवन हरियाली जैसे कार्यक्रम नीतीश कुमार को जनता के बीच लोकप्रिय बने रहने का एक बड़ा कारण बना. दूसरा विपक्ष में कोई दमदार चेहरा सामने भी नहीं आया, जो नीतीश के मुकाबले जनता में पैठ बना सके और इसका भी लाभ नीतीश कुमार को मिल रहा है