पटनाःबाढ़ के उत्तर वाहिनी गंगा घाट उमानाथ से सटे सती स्थान मोक्ष धाम इन दिनों लाशों के ढेर से पटा हुआ है. हालात ये हैं कि पूरी रात शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. सबसे ज्यादा शव निकटवर्ती जिला नालंदा, शेखपुरा और नवादा से लाए जा रहे हैं. वहीं कोविड-19 के कहर के चलते भी इन श्मशान घाटों पर आधा दर्जन से ज्यादा चिताएं 24 घंटे लगातार जल रही हैं.
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लंबे वक्त से हो रही है शवदाह गृह की मांग
इलाके के लोगों द्वारा करीब दो दशक पहले से ही विद्युत शवदाह गृह की मांग की जा रही थी. लेकिन आज तक इस पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया. जिसके चलते बड़े पैमाने पर प्रदूषण का खतरा भी बना रहता है. इलाके के लोगों का जीना दुश्वार सा हो चुका है. हाल के दिनों में गरीब 2 गुना से भी ज्यादा शव यहां लाये जाने लगे हैं.
समस्या से कराया जाता है अवगत
समाज के बड़े लोग या फिर बड़े अधिकारी के परिजन की जब मौत होती है तभी अनुमंडल प्रशासन के अधिकारी यहां पहुंचते हैं. उस समय लोगों के द्वारा बिजली, पानी और बैठने की समस्या से प्रशासन को अवगत कराया जाता है. लेकिन हाल के दिनों में यह श्मशान घाट एक बड़ा प्रदूषण केंद्र बनकर सामने आया है. हर दिन 1000 क्विंटल से भी ज्यादा आम की लकड़ियों के जलने से प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा है.