पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. पिछले 24 घंटे में सूबे से 3 हजार 646 नए कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पुष्टि हुई है. सबसे ज्यादा 566 मामले राजधानी पटना से मिले हैं. इन सबके बीच कोरोना जांच रिपोर्ट अभी भी सवालों को घेरे में हैं. दरअसल, एक बड़ी संख्या में जांच रिपोर्ट कई दिनों से पेंडिंग हैं.
पिछले 5 से 6 दिनों से जैसे-जैसे कोरोना जांच की संख्या बढ़ रही है, वैसे ही सर्वर पर बोझ बढ़ रहा है. इसका नतीजा यह हो रहा है कि सर्वर ठप पड़ता जा रहा है और इस कारण कोरोना मरीजों की तकलीफ और रही हैं.
पटना से कृष्ण नंदन की रिपोर्ट 6 दिनों से नहीं मिली कोरोना रिपोर्ट
पटना के होटल पाटलिपुत्र अशोका में शुक्रवार के दिन जांच रिपोर्ट लेने के लिए काउंटर पर कई ऐसे लोग पहुंचे, जिन्होंने 5 से 6 दिन पहले अपनी जांच करायी थी. लेकिन उनकी रिपोर्ट उन्हें नहीं मिली. शुक्रवार के दिन ही यहां एक नया मामला देखने को मिला कि होटल पाटलिपुत्र अशोक जहां कोविड-19 केयर सेंटर बना है. वहां होटल के प्रबंधक मुकेश कुमार खुद अपनी मां की कोरोना जांच रिपोर्ट लेने के लिए काफी समय तक परेशान दिखे. हालांकि, उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से मना कर दिया.
मुकेश कुमार की मानें, तो उनकी मां की 6 अगस्त के दिन रैपिड एंटीजन किट के माध्यम से कोरोना का जांच हुआ थी. जांच रिपोर्ट पॉजिटिव बताई गई. लेकिन रिपोर्ट की हार्ड कॉपी लेने पहुंचे मुकेश को काफी परेशानी उठानी पड़ी.
'बिना हार्ड कॉपी एडमिट नहीं होता मरीज'
दरअसल, हार्ड कॉपी तब ही मिलती है, जब सर्वर पर रिपोर्ट अपलोड हो जाती है. लेकिन सर्वर उनकी मां की रिपोर्ट शो नहीं कर रहा है. मुकेश की मां की स्थिति गंभीर हो चली है. ऐसे में मुकेश का कहना है कि बिना हार्ड कॉपी के कोई भी हॉस्पिटल और कोविड केयर सेंटर उनकी मां को एडमिट नहीं कर रहा है.
की जा चुकी है शिकायत
होटल पाटलिपुत्र के कोविड-19 के रिपोर्ट काउंटर पर बैठे टेक्नीशियन सौरभ डे ने जानकारी दी कि सर्वर काफी स्लो काम कर रहा है और इसमें कई डाटा अभी एंट्री नहीं हुए हैं. एक रिपोर्ट निकालने में 10 से 15 मिनट लग जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति में वह कई बार शिकायत भी कर चुके हैं और यह सिर्फ यहीं की समस्या नहीं है. सभी जगह से सर्वर की समस्या आ रही है. बता दें कि राज्य स्वास्थ्य समिति का जो पोर्टल है जिस पर कोविड-19 के सभी डाटा अपलोड किए जा रहे हैं, वह एक निजी कंपनी के जिम्मे है.
बिहार में कोविड-19 जांच की प्रक्रिया में तेजी लाई गई है, ऐसे में जांच कर मरीज के कोरोना पॉजिटिव और नेगेटिव होने की सूचना तो उन्हें दे दी जा रही है लेकिन यह आंकड़ा सिर्फ नमूनों पर निर्भर है. इसकी हार्ड कॉपी मरीजों को मिलने में काफी देर हो रही है.