पटना:बिहार सरकार नए उद्योग लगवाने और बड़े निवेशकों को बिहार लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. इसी दौरान महीने में 19 तारीख को बिहार सरकार के उद्योग विभाग के मंत्री शाहनवाज हुसैन ने इथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति 2021 को लांच किया. इथेनॉल पॉलिसी लाने वाला भारत का पहला राज्य बिहार बना है. उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने बताया कि बिहार में इथेनॉल की फैक्ट्री लगेगी, तो किसानों को तो लाभ होगा ही साथ ही बिहार में काफी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित होंगे.
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''हमारा मुख्य उद्देश्य बिहार में अधिक से अधिक बड़े उद्योग लगाना है. जिसका लाभ बिहार को तो मिलेगा ही, साथ ही बिहार के अधिक से अधिक लोगों को रोजगार भी उपलब्ध हो सकेगा. इस नीति का उद्देश्य राज्य में शत-प्रतिशत इथेनॉल का उत्पादन करने वाली नई स्टैंड अलोन इकाइयों और अन्य सभी निवेशक, किसान, मजदूर और अन्य जुड़े लोगों को लाभ पहुंचाना है''-शाहनवाज हुसैन, मंत्री, उद्योग विभाग
किसानों की आय बढ़ाना लक्ष्य
इथेनॉल उत्पादन के फीडस्टॉक कच्चे माल का उत्पादन करने वाले किसानों की आय बढ़ाना है, क्योंकि ऐसा अक्सर देखा जाता है कि बिहार में टूटे हुए चावल बेकार हो जाते हैं या फिर वैसे अनाज जो भीग गए वह किसानों को काफी कम दरों में बेचना होता है और किसानों को इससे काफी नुकसान होता है. लेकिन, इथेनॉल की फैक्ट्रियां लगने से किसानों के टूटे हुए चावल और भीगे हुए अनाज का भी उन्हें सही दाम मिलेगा. वह इसे फैक्ट्री में देकर वाजिब कीमत ले सकते हैं.
शाहनवाज हुसैन, मंत्री, उद्योग विभाग रोजगार के साथ प्रदूषण होगा कम
इस नीति से लोगों को अधिक संख्या में रोजगार तो मिलेगा ही साथ ही प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी. वर्तमान में देश में पेट्रोल में बायो एथेनॉल 6.2% है. जबकि सरकार ने 2030 तक 20% करने का लक्ष्य रखा है. भारत में 5 दशमलव 30 हजार बैरल इथेनॉल का उत्पादन होता है, जो ब्राजील या यूएसए की तुलना में बहुत कम हैं. दूसरी ओर बिहार लगभग 12 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन करता है और देश में इथेनॉल उत्पादन में हम 5वें स्थान पर हैं.
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बिहार को इथेनॉल हब बनाने की तैयारी
इस नीति के आने के बाद कार्य काफी तेजी से होगा और हमारी सरकार का लक्ष्य भारत में बिहार को इथेनॉल हब बनाना और हर साल लगभग 50 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन करना है. बता दें कि बिहार में नए उद्योगों को लगाने में काफी समस्या होती है, जिस वजह से उद्यमी बिहार में काम आते हैं. उसके लिए भी सरकार ने पूरी व्यवस्था कर ली है और उद्यमियों को किसी प्रकार की कोई समस्या ना हो इसका सरकार खास ख्याल रखेगी. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इथेनॉल उत्पादन के लिए अब तक लगभग 30 आवेदन ऑनलाइन आ चुके हैं. जिस पर आगे का कार्य किया जा रहा है.
निवेशकों को मिलेगी सुविधा
विभाग द्वारा निवेशकों को ऐसी जमीन उपलब्ध कराई जाएगी, जहां उन्हें बिजली, सड़क और पानी की पूरी व्यवस्था मिलेगी. जो भी निवेशक इथेनॉल उत्पादन इकाई लगाना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले ऑनलाइन एसआईपीबी के माध्यम से अपना आवेदन करना होगा. सात कार्य दिवस के अंदर उनके आवेदन को स्वीकृत कर दिया जाएगा और आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी. वहीं, जमीन के लिए उन्हें बियाडा के वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा, वह भी 7 कार्य दिवस के अंदर उन्हें आवंटित कर दिया जाएगा.
सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था
निवेशकों को अधिक परेशानी ना हो इसके लिए सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था की जाएगी. इथेनॉल उत्पादन इकाई लगाने के लिए उन्हें 16 अलग-अलग तरीके के क्लीयरेंस लेने पड़ेंगे. इसके लिए भी कहीं आने जाने की जरूरत नहीं है. सभी कार्य ऑनलाइन हो जाएंगे. अगर कहीं किसी प्रकार की कोई समस्या होती है, तो विभाग उसमें पूरी तरीके से मदद करेगा.
किसानों की आय बढ़ाना लक्ष्य उद्योग विभाग खुद करवाएगा क्लीयरेंस
बिहार औद्योगिक निवेश अधिनियम 2016 के तहत यदि किसी डिपार्टमेंट से क्लीयरेंस में समय लग रहा है और उस कारण उद्यमियों को परेशानी हो रही है, तो उद्योग विभाग खुद क्लीयरेंस करवाकर निवेशक को सौंपेगा. इकाई लगाने के लिए 30 जून 2022 तक प्रोजेक्ट अप्रूवल, एसआईपीबी फाइनल क्लीयरेंस और लोन के सभी दस्तावेज विभाग को जमा करने होंगे.
बैंक को दिए गए सख्त निर्देश
वहीं, बैंक से किसी प्रकार की कोई समस्या ना हो उसका भी खास ख्याल रखा गया है, बैंक को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि उद्यमियों से किसी प्रकार की कोई आनाकानी ना की जाए. जितना जल्द हो सके उन्हें लोन उपलब्ध कराया जाए. वहीं, इस इकाई को लगाने में उद्यमियों को सबसे ज्यादा लाभ ये होगा कि बिहार सरकार द्वारा निवेशकों को 5 करोड़ की अतिरिक्त अनुदान राशि उपलब्ध कराई जाएगी. साथ ही केंद्र सरकार द्वारा जो भी सब्सिडी मिलती है, वह भी उन्हें मिल सकेगी.
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विभाग की तरफ से कोई बाध्यता नहीं
एक इथेनॉल की इकाई लगाने के लिए विभाग के तरफ से कोई बाध्यता नहीं है. हालांकि, जानकारी के लिए न्यूनतम 10 से 15 एकड़ जमीन की आवश्यकता है. जिसमें करीब 100 से 120 करोड़ रुपए की लागत में इकाई शुरू होगी. किसी भी उद्यमियों या निवेशक को विभाग के चक्कर नहीं लगाने पड़े, इसकी तैयारी भी विभाग ने पूरी तरीके से कर ली है. 30 आवेदन भी प्राप्त हो गए हैं, लेकिन कितनी इकाई बिहार में लगेगी यह तो आने वाला वक्त बताएगा.