पटना: बिहार में कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा प्रकोप राजधानी पटना में हुआ है. हर रोज यहां 100 से ज्यादा मामले मिल रहे हैं. ऐसे में कोरोना संक्रमण की रोकथाम करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. राजधानी आने-जाने वालों के लिए बस अड्डों पर प्रशासन ने क्या कुछ सुविधा मुहैया करायी है, ईटीवी भारत ने इसकी और सुरक्षा व्यवस्था की पड़ताल की है.
हमारे संवाददाता नीरज त्रिपाठी ने पटना के मीठापुर बस स्टैंड से जो तस्वीरें भेजी, उससे साफ हुआ कि यहां कोविड प्रोटोकॉल लागू नहीं है. दरअसल, यहां कई ऐसे यात्री मिले, जिनके मुंह से मास्क नदारद था. बेबसी की इंतहा ऐसी रही कि ये खुले आसमान में बसों का इंतजार करते दिखाई दिए. बस अड्डों की बदहाली अपने आप पूरी कहानी बयां करने लगी.
पटना से नीरज त्रिपाठी की रिपोर्ट सुरक्षा और सुविधा
पटना से बिहार के सभी जिलों और अन्य राज्यों के लिए बस आसानी से मिल जाएगी. सिर्फ यही एक सुविधा है, जो बढ़िया है. लेकिन इस सुविधा के पीछे की व्यवस्था बड़ी दयनीय है. बस अड्डों पर जहां यात्रियों की बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए, वहां या तो कूड़े का ढेर जमा है या अवैध रूप से दुकानदारों ने अतिक्रमण किया हुआ है. जर्जर हो चुकी बस अड्डे की सड़क बसों के परिचालन के बाद यात्रियों के चेहरे पर धूल का गुलाल लगा देती है. वहीं, गंदगी के अंबार का तो क्या ही कहना.
यात्री संजय कहते हैं, 'बैठने की व्यवस्था होती, तो जरूर बैठते. लेकिन क्या करें. ठंड में बस का इंतजार कर रहे हैं.'
पटना में बस डिपो
राजधानी पटना में 3 बस अड्डे अभी पूरी तरह से कार्यरत हैं. अगर हम बात करें पटना के जक्कनपुर थाना क्षेत्र स्थित मीठापुर बस अड्डे की तो यहां से कोलकाता और दिल्ली के लिए बसें खुलती हैं. यहां यात्रियों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे नहीं है. सुरक्षाकर्मियों की यहां तैनाती नहीं की गई है. हां ट्रैफिक नियंत्रण के लिए यहां ट्रैफिक पोस्ट जरूर बना दिया गया है.
- बसों में लगा सीसीटीवी कैमरा सही से काम कर रहा है या नहीं, इस बाबत हमारे संवाददाता ने जब कंट्रोल रूम की तस्दीक की. तो ये सही पाया गया.
- दूसरी ओर यहां आने वाले यात्रियों का कहना है कि 'मीठापुर बस अड्डे पर बइंतजामी के हालात ऐसे हैं के यहां आने वाले यात्रियों को ना ही पीने का पानी मिल पाता है और ना ही बैठने की जगह और ना ही सुरक्षा.'
वीरचंद पटेल पथ स्थित बिहार पर्यटन बस सेवा की खुलने वाली बस और बस स्टैंड के हालात कुछ अच्छे नजर आए. अगर हम बिहार पर्यटन बस सेवा की बात करें तो इस कार्यालय में सुरक्षा के दृष्टिकोण से सीसीटीवी कैमरे भी लगे नजर आए. यहां से खुलने वाली बस से पर्यटन के दृष्टिकोण से बिहार के अलग-अलग जिलों में जाती हैं. देश-विदेश से पर्यटक बिहार के महत्वपूर्ण स्थलों को घूमने के लिए यहां पहुंचते हैं. इस बस स्टैंड पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए गए हैं. यात्रियों के लिए सुरक्षा के दृष्टिकोण से यहां मुख्य द्वार पर ही एक सुरक्षा गार्ड की तैनाती की गई है, तो दूसरी ओर कार्यालयों के साथ-साथ बसों में भी यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.
बांकीपुर बस अड्डा
वहीं, पटना के गांधी मैदान स्थित बिहार राज्य पथ परिवहन निगम से खुलने वाली बसों के यात्री भी कहते हैं कि इस बस स्टैंड पर यात्रियों की सुरक्षा के नाम की कोई चीज नहीं है. यहां बस स्टॉप पर पॉकेटमारों की संख्या ज्यादा है. आए दिन यात्री जेबकतरों का शिकार हो जाते हैं. इस पूरे बस स्टैंड के परिसर में भी कहीं भी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं.
- यहां से खुलने वाली दिल्ली कोलकाता की बसों में सीसीटीवी कैमरे जरूर लगाए गए हैं, जिसकी मॉनिटरिंग यहां बैठे अधिकारी अपने मोबाइल के जरिए करते हैं.
इस बस स्टैंड पर मौजूद अधिकारी बताते हैं कि अगर किसी यात्री का कोई सामान बस में छूट जाता है या फिर किसी अपराधिक घटना को अपराधी अंजाम देते हैं. तो बस में लगे सीसीटीवी कैमरे के जरिए यात्रियों के सामान और अपराधियों की पहचान की जाती है. यहां कुल 10 होमगार्ड जवान तैनात हैं.
क्या कहते है परिवाहन सचिव
बस डिपो की सुरक्षा को लेकर ईटीवी भारत ने परिवहन सचिव संजय अग्रवाल से बात की. उन्होंने कहा कि बस अड्डे जिस थाना क्षेत्र में आते हैं, उस थाने की ये जिम्मेदारी है कि वहां सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराये. नई योजना के तहत अभी बस अड्डे पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की कवायद तेज कर दी गई है. वहीं, बैरिया संपतचक में बने अंतर्राज्यीय बस अड्डे से बसों के परिचालन शुरू होने के सवाल का जवाब देते हुए परिवहन सचिव संजय अग्रवाल ने बताया कि इसको लेकर संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की गई है. जल्द ही इस अंतरराज्यीय बस अड्डे से बसों का परिचालन शुरू हो जाएगा. परिवहन सचिव ने बताया कि पूरे बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में कुल 1000 नए बस स्टॉप को बनवाने के कार्य को भी गति दी जा रही है, जिसे मार्च 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा.
हालांकि, पटना के कुल तीन बस अड्डो पर आने वाले यात्री साफ तौर से कहते नजर आ रहे है कि स्मार्ट सिटी की ढोल पीटने वाली इस सरकार में आज भी बस अड्डे सुरक्षित नहीं हैं. सवाल सरकार और प्रशासन से इतना ही है कि कोरोना काल को लेकर मास्क चेकिंग करने वाले पुलिस अधिकारी इन बस अड्डों पर कब अभियान चलाएंगे. सुरक्षा की जिम्मेदारी अगर स्थानीय थाने की है तो वहां की पुलिस टीम कब यहां तस्दीक करेगी. कब यात्री पूरी तरह सहज-सुरक्षित महसूस करेंगे.