पटना:टीईटी शिक्षक संघ (TET Teachers Association) ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर बड़ा आरोप लगाया है. उनका कहना है कि प्रभारी विशेष आकस्मिक अवकाश देने में आनाकानी करते हैं साथ ही साथ मातृत्व अवकाश में भी वेतन को बंद कर दिया जाता है. शुक्रवार को टीईटी शिक्षक संघ की ओर से डॉक्टर कुमारी अंशु (संग्रामपुर, मुंगेर), प्रीति सत्यम (सबौर, भागलपुर), नीलिमा (पुनपुन,पटना) ने प्राथमिक शिक्षा, शिक्षा विभाग को एक पत्र ज्ञापित कर महिला शिक्षिकाओं की विभिन्न समस्याओं की तरफ उनका ध्यान आकृष्ट करवाया है.
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टीईटी शिक्षक संघ ने लगाया आरोप:शिक्षक संघ ने बताया कि महिलाओं को मिलने वाले विशेष आकस्मिक अवकाश को लेकर विभिन्न जिलों में असमंजस की स्थिति रहती है. आमतौर पर प्रेगनेंसी के दौरान महिला शिक्षकों को केवल विद्यालय प्रभारी ही नहीं बल्कि प्रखंड और जिला शिक्षा अधिकारी भी आकस्मिक अवकाश देने में आनाकानी करते हैं. उनका कहना होता है कि यह अवकाश केवल महावारी के दौरान ही दिया जाएगा, जबकि सामान्य प्रशासन या शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देश में ऐसा कुछ भी वर्णित नहीं है. इस मामले में संघ ने शिक्षा विभाग से स्पष्ट पत्र जारी करने की मांग की है.
वेतन रोकने का लगाया आरोप: टीईटी शिक्षक संघ ने आगे बताया कि शिक्षिकाओं को मिलने वाले 180 दिन के मातृत्व अवकाश के दौरान उनका वेतन रोक दिया जाता है और मातृत्व अवकाश पूरा होने के बाद ही एरियर के रूप में उनका वेतन भुगतान किया जाता है. इस वजह से कई शिक्षिकाएं मातृत्व अवकाश नहीं लेती हैं, क्योंकि जिस वक्त उन्हें वेतन की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. उसी वक्त उनका वेतन बंद कर दिया जाता है. उन्हेंने शिक्षा विभाग से इस संबंध में भी एक स्पष्ट पत्र जारी कर मातृत्व अवकाश के दौरान वेतन न बंद करने का निर्देश जारी करने की मांग की है.
शिक्षक संघ द्वारा लिए गये पत्र में यह भी कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकार के कर्मियों को दो साल के सवैतनिक शिशु देखभाल अवकाश का प्रावधान है. लेकिन बिहार सरकार में कार्यरत शिक्षकों को इस अवकाश से वंचित रखा गया है. घर का सुख, शिक्षिकाओं के परिवहन और नौकरी दोनों के बीच सामंजस्य बैठाने में कठिनाई न हो, इस चीज को ध्यान में रखते हुए उन्होंने बिहार की शिक्षिकाओं के लिए भी सवैतनिक शिशु देखभाल अवकाश का निवेदन किया है.
उन्होंने कहा कि काफी संघर्ष के बाद पंचायती राज संस्थान शिक्षक नियमावली 2020 के तहत शिक्षकों को ऐच्छिक स्थानांतरण का प्रावधान किया गया है. लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया गया है, जिसकी वजह से अधिकांश शिक्षिकाएं या तो परिवार या तो नौकरी छोड़ने को मजबूर हैं. उन्होंने शिक्षा विभाग से अनुरोध किया है कि जल्द से जल्द ऐक्षिक स्थानांतरण का प्रावधान लागू किया जाए. ताकि शिक्षिकाओं को इसका लाभ मिल सके.