पटना: बिहार के सियासी गलियारों (Politics of Bihar) में जीतन राम मांझी को लेकर चर्चाओं का बाजार इन दिनों गर्म है. कहा जा रहा है कि मांझी लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार(Nitish Kumar) पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं. जीतन राम मांझी के निशाने पर कभी पीएम तो कभी सीएम रहते हैं. मांझी के इस रवैये से एनडीए नेता पशोपेश में हैं. अब विधान परिषद की सीट को लेकर खींचतान शुरू हो गई है.
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'हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है और मजबूती से बने रहेंगे. नीतीश कुमार के विकास कार्यों पर हमें भरोसा है. हमें उस वक्त जरूर नाराजगी हुई थी जब राज्यपाल कोटे से होने वाले मनोनयन में पार्टी को हिस्सेदारी नहीं मिली. लेकिन अब एक सीट खाली हुई है तो उस पर हमारा वाजिब हक बनता है.'- दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम
हम का दावा
बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार है और इस सरकार में दो छोटे दलों की भूमिका अहम है. जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी के चार चार विधायक हैं और सरकार की दारोमदार दोनों दलों पर है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पिछले कुछ महीनों से नाराज चल रहे हैं. राज्यपाल कोटे से होने वाले एमएलसी मनोनयन में हम पार्टी को हिस्सेदारी नहीं मिली थी जिसे लेकर मांझी, नीतीश कुमार पर खूब बरसे थे.
नवल किशोर यादव, भाजपा के वरिष्ठ नेता 'जीतन राम मांझी से भाजपा का कोई सरोकार नहीं है. उनका गठबंधन नीतीश कुमार से है. नीतीश कुमार ही उनके उम्मीदों और शिकायतों को पूरा कर सकते हैं. हम पार्टी का गठबंधन जदयू के साथ है हमारा गठबंधन मुकेश सहनी के साथ है.'- नवल किशोर यादव, भाजपा के वरिष्ठ नेता
मांझी कर रहे हमला
जीतन राम मांझी ने पहले तो प्रधानमंत्री पर हमला बोलकर देश में सियासी बवाल खड़ा कर दिया. मांझी ने कहा कि अगर वैक्सीनेशन के सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की तस्वीर है तो डेथ सर्टिफिकेट पर भी पीएम की तस्वीर होनी चाहिए. सीएम को लेकर भी मांझी हमलावर हैं और उनके क्रियाकलाप से संतुष्ट नहीं हैं. मांझी नीतीश कुमार से मुलाकात कर शिकायत भी दर्ज कराने की सोच रहे हैं.
डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक 'जीतन राम मांझी के रुख से बिहार में राजनीति में अस्थिरता पैदा हो सकती है. जीतन राम मांझी को अगर नीतीश कुमार संतुष्ट नहीं करते हैं तो वैसे स्थिति में मांझी एनडीए के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. वहीं विपक्ष की तरफ से अगर प्रस्ताव बढ़िया आता है तो वह उस खेमें में भी जा सकते हैं.'-डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
एमएलसी सीट पर खींचतान
दरअसल जदयू एमएलसी तनवीर अख्तर की कोरोना से निधन के बाद खाली हुई सीट को लेकर तकरार जारी है. हम पार्टी नेताओं को भी लगता है कि राज्यपाल कोटे में अगर उनको हिस्सेदारी नहीं मिली थी तो अभी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए.