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फगुआ के रंग में रंगे लालू के लाल, बोले-इस होली हर बिहारी मांगे विशेष राज्य वाला रंग

चुनावी साल में जेडीयू केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर चुकी है. सीएम नीतीश कुमार ने गृह मंत्री के सामने बिहार को वाजिब हक देने की बात कही है. वहीं, आरजेडी नीतीश कुमार के 15 साल के कार्यकाल का हिसाब मांग रही है. तेजस्वी यादव ने होली के मौके पर विशेष राज्य का दर्जा देने का राग छेड़ा है.

tejashwi yadav
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव

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Published : Mar 8, 2020, 11:45 PM IST

पटनाःबिहार विधानसभा चुनाव से पहले 'विशेष राज्य के दर्जा' का मुद्दा फिर से गरमा गया है. सीएम नीतीश कुमार गृह मंत्री अमित शाह के सामने मांग रख चुके हैं. वहीं, अब आरजेडी ने होली के मौके पर विशेष राज्य की मांग अपने ही अंदाज में की है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर एनडीए सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि डबल इंजन वाली सरकार में ना तो 'विशेष राज्य का दर्जा मिला' और ना ही विशेष पैकेज.

तेजस्वी ने ट्वीट कर लिखा, 'बहुत हो चुके तंग इस होली हर बिहारी मांगे विशेष राज्य वाला रंग.' वहीं, तेजस्वी ने नीतीश सरकार पर हर क्षेत्र में विफल रहने का आरोप लगाया. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी इन दिनों बेरोजगारी हटाओ यात्रा पर निकले हैं. यात्रा के दौरान आरजेडी नेता कई मुद्दे पर सरकार को घेर चुके हैं.

तेजस्वी का कहना है कि बिहार बेरोजगारी का मुख्य केंद्र है. शिक्षा, चिकित्सा, कृषि और प्रति व्यक्ति आय में बिहार फिसड्डी है. सरकार बंद पड़ी चीनी मिल, जूट मिल और पेपर मिल क्यों नहीं शुरू करती. सरकार आईटी कम्पनियां, बड़े उद्योगों को क्यों नहीं बुलाती. आईटी पार्क, एसईजेड क्यों नहीं बनवाती. तेजस्वी ने नीतीश सरकार से सवाल पूछा है कि 15 वर्ष में अब तक क्या किया?

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बता दें कि नीतीश कुमार ने 28 फरवरी को ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में आयोजित पूर्वी क्षेत्र परिषद की बैठक में गृहमंत्री अमित शाह के सामने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग उठाई थी. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में विकास दर दोहरे अंक में हासिल करने के बावजूद विकास के प्रमुख मापदंडों में हम राष्ट्रीय औसत से नीचे हैं. कई अन्य राज्य भी बिहार की तरह गरीबी रेखा, प्रति व्यक्ति आय, औद्योगिकीकरण और सामाजिक व भौतिक आधारभूत संरचना में पिछड़े हैं. ऐसे पिछड़े राज्यों को एक समय सीमा में पिछड़ेपन से उबारने और राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने के लिए सकारात्मक नीतिगत पहल की जरूरत है.

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