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लालू के तिलिस्म को CM नीतीश ने किया था समाप्त तो तेजस्वी ने उड़ा दी है उनकी नींद

बिहार महासमर 2020 में एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली. इस दौरान सीएम नीतीश कुमार और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव एक दूसरे पर काफी हमलावर रहे. लेकिन अब तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़े संकट के रूप में सामने दिख रहे हैं. हालांकि इससे पहले नीतीश कुमार ने ही लालू यादव के तिल्स्म को समाप्त किया था.

tejashwi yadav poses as the biggest challenge for CM Nitish Kumar in bihar election 2020
tejashwi yadav poses as the biggest challenge for CM Nitish Kumar in bihar election 2020

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Published : Nov 9, 2020, 11:24 PM IST

पटना:बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा अभी किसी की है तो वो तेजस्वी यादव हैं. तेजस्वी यादव आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे हैं. विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव सीएम नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं. कभी लालू प्रसाद यादव के तिलिस्म को नीतीश कुमार ने ही समाप्त किया था. लेकिन आज नीतीश का तिलिस्म लालू के पुत्र समाप्त कर रहे हैं.

तेजस्वी यादव, आरजेडी नेता

1995 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद लालू प्रसाद अजय दिखने लगे थे. उन्हें हराना असंभव सा लगने लगा था. क्योंकि उन्हें जातिगत वोट समीकरण एमवाई के साथ दलित और अन्य पिछड़ों का भी समर्थन मिला था. लेकिन उसे नीतीश कुमार ने 2005 में पूरी तरह ध्वस्त कर दिया. वैसे लालू यादव का तिलिस्म 1999 से हीं टूटने लगा था. 1998 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी 54 में से 38 सीटों पर लड़ी थी. इसमें से उसे 17 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. लेकिन 1999 के चुनाव में आरजेडी 54 सीटों में से 36 सीटों पर चुनाव लड़ी. इसमें उसे सिर्फ 7 ही सीटों पर जीत हासिल हुई. इसके बाद 2000 के विधानसभा चुनाव के बाद से तो लालू का तिलिस्म पूरी तरह दरकने लगा. 2000 में नीतीश कुमार अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रहे. हालांकि साल 2000 में नीतीश कुमार 1 सप्ताह के लिए ही मुख्यमंत्री के पद पर रहे. उस समय वो अपना बहुमत साबित नहीं कर पाए तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. फिर 2005 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने शानदार वापसी की और सत्ता पर काबिज हुए.

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव

नीतीश कुमार ने दिया था संजीवनी
बिहार की राजनीति में जब एक समय कहा जाने लगा था कि लालू यादव को हराना आसान नहीं है. तब नीतीश कुमार ने न केवल सत्ता से लालू प्रसाद यादव को बाहर किया, बल्कि बिहार को विकास के मामले में एक नई पहचान भी दिलाई. यहां तक कि लालू परिवार को सत्ता से पूरी तरह से बेदखल किए रहे. हालांकि लालू परिवार को फिर से सत्ता में लाने में भी नीतीश कुमार की बड़ी भूमिका रही. लालू यादव और उनके परिवार के नेताओं को हासिये पर पहुंचाने वाले नीतीश कुमार 2015 में संजीवनी देने का काम किया और महागठबंधन बनाकर सत्ता में ले आए. आज वही संजीवनी नीतीश कुमार के लिए तेजस्वी के रूप में बड़ी मुसीबत बनी हुई है.

तेजस्वी नीतीश के लिए हैं सबसे बड़े संकट
पीएम नरेंद्र मोदी के कारण 2013 में जब बीजेपी से अलग होकर नीतीश कुमार ने 2015 में लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के साथ गठबंधन किया और महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़े थे. उस समय बड़ी जीत हासिल की थी. लेकिन आज नीतीश कुमार को उसी चूक का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. क्योंकि 2015 से ही लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति में दमदार उपस्थिति दर्ज कराने लगे थे. कहा तो यह भी जाता है कि तेजस्वी यादव को सीएम बनाने की उस समय से बढ़ती मांग के बाद से ही नीतीश कुमार ने आरजेडी से अलग होने का फैसला लिया था. हालांकि अब 2020 विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़े संकट बने हुए हैं. ज्यादातर न्यूज चैनलों की ओर से जारी एग्जिट पोल के हिसाब से तेजस्वी यादव बिहार का अगला मुख्यमंत्री बनाने जा रहा हैं. लेकिन नीतीश कुमार को अभी भी महिला वोटरों के वोट से उम्मीद है.

लालू यादव और तेजस्वी यादव

55 मतगणना केंद्रों पर वोटों की गिनती
मंगलवार 10 नवंबर को जब बिहार के 243 सीटों पर हुए मतदान की गिनती होगी तो सही तस्वीर सभी के सामने आएगी. वोटों की गिनती को लेकर राज्यभर में 55 मतगणना केंद्र बनाए गए हैं. वहीं, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.

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